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________________ १३८ श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन ___महाकवि वाग्भट की छन्द योजना अति विस्मयकारी है । नेमिनिर्वाण के सातवें सर्ग में छन्दप्रयोग करने में कवि ने विशेषता प्रकट की है । पद्य में जिस छन्द का प्रयोग किया है, छन्द नाम भी उसी में प्रस्तुत किया है और कवि ने सर्ग में वर्णित ५५ पद्यों में ४३ छन्दों का प्रयोग करके एक विशेष छन्द कला प्रस्तुत की है। .. नेमिनिर्वाण में प्रयोग किये गये छन्द इस प्रकार हैं - आर्या, सोमराजी, शशिवदना, अनुष्टुप्, विद्युन्माला, प्रमाणिका, हंसरुत, माद्यद्भुङ्ग, मणिरंग, बन्धूक, रुक्मवती, मत्ता, इन्द्रवज्रा, उपेन्द्रवजा, उपजाति, अमरविलसिता, स्त्री, रथोद्धता, शालिनी, अच्युत, वशंस्थ, द्रुतविलम्बित, कुसुमविचित्रा, स्रग्विणी, मौक्तिकदाम, तामरस, प्रमिताक्षरा, भुजङ्गप्रयात, प्रियंवदा, तोटक, रुचिरा, नन्दिनी, चन्द्रिका, मंजुभाषिणी, मत्तमयूर, वसन्ततिलका, अशोक-मालिनी, प्रहरणकलिका, मालिनी, शशिकलिका, शरमाला, हरिणी, पृथ्वी, शिखरिणी, मन्दाक्रान्ता, शार्दूलविक्रीडित, स्रग्धरा, चण्डवृष्टि, वियोगिनी, पुष्पिताग्रा । उक्त छन्दों का पृथक् पृथक् विवरण एक-एक उदाहरण के साथ यहाँ प्रस्तुत है। इनमें वर्णिक छन्दों का क्रम सम, अर्धसम और विषम में विभक्त कर वर्णगणना के आधार पर किया गया है। (२) आर्या : यह मात्रिक छन्द है जिसके पहले और तीसरे पाद में बारह मात्रायें हो, दूसरे में अठारह और चौथे में पन्द्रह मात्रायें हो वह आर्याछन्द है । यस्याः पादे प्रथमे द्वादशमात्रास्तथा तृतीयेऽपि । अष्टादश द्वितीये चतुर्थके पंचदश सार्या ।। यथा मुनिगण सेव्या गुरुणा युक्तार्या जयति सामुत्र । चरणगतमखिलमेव स्फुरतितरा लक्षणं यस्याः ।। प्रयोग के अन्य स्थल : सप्तम सर्ग : १ (२) शशिवदनाः यह छः वर्णों का वृत्त है । इसके प्रत्येक पाद में एक नगण और एक यगण होता है । यथा - वनमिह दृष्ट्वा कुसुमसमृद्धम् । चरति नगं किं शशिवदनान्यम्' ।। (३) सोमराजी: यह छन्द, छन्दः शास्त्रीय प्रचलित ग्रन्थों में अनुपलब्ध है । यह छः वर्णों का छन्द है जिसमें क्रमशः दो मगण होते हैं । यथा - शिवाश्लिष्टकायः परित्यक्तमायः । अयं सोमराजी' क्षपायां नरेशः ।। १. श्रुतबोध,४ २. नेमिनिर्वाण, ७/२ ३. शशिवदना न्यौ, वृ० २०, ३/८० ४. नेमिनिर्वाण, ७/३ ५. द्विया सोमराजी/संस्कृत हिंदी कोष (आप्टे) परिशिष्ट, पृ० ११८७ ६. नेमिनिर्वाण ७/४४
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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