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(घ) अलंकार शब्दालंकार - अनुप्रास, यमक (अयुतावृत्ति- मूलक यमक, महायमक, मध्यमयमक, आदियमक, संयुतावृत्तिमूलक अन्तयमक, अयुतावृत्तिमूलक अन्तयमक, पादद्वयान्तयमक, द्वितीयपाद चतुर्थ पादान्तयमक), श्लेष, अर्थालंकार - उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक, विरोधाभास, परिसंख्या, उदाहरण, सहोक्ति, समासोक्ति, अर्थान्तरन्यास ।
अध्याय
चार : भाषा शैली तथा गुणसन्निवेश
१६४-१६९
शैली का अर्थ, वैदर्भी रीति, गौडीरीति, पांचाली रीति, लाटी रीति, गुण, गुण के भेद, माधुर्य, ओज, प्रसाद ।
अध्याय - पाँच : नेमिनिर्वाण में वर्णनवैचित्र्य
१७०-१७८
देशवर्णन, नगरवर्णन, प्रकृति-चित्रण, सूर्योदय एवं प्रातःकाल, चन्द्रवर्णन, पर्वतवर्णन, देव- मन्दिर, स्त्री-पुरुषों का वर्णन, पुत्रजन्मोत्सव, जलक्रीड़ा, मदिरापान, रतिक्रीड़ा ।
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अध्याय -
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छ:: दर्शन एवं संस्कृति
१७९-२१०
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(क) दर्शन - स्वरूप, वर्गीकरण, रत्नत्रय सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र, सप्त तत्वों का विवेचन, जीव, अजीव, अणु या पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश, काल, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा, मोक्ष, ध्यान- आर्तध्यान, रौद्रध्यान, शुक्लध्यान, धर्मध्यान, पंचपाप हिंसा, अनृत, स्तेय, अब्रह्म, परिग्रह, कर्म, तप- बाह्यतप, अन्तरंग तप अनेकान्त ।
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(ख) संस्कृति द्वीप पुष्करार्द्ध द्वीप, पर्वत, नदियाँ, वन, उद्यान, वृक्ष, पुष्प, पशु, पक्षी, देश, जनपद, नगर, ग्राम - सुराष्ट्र, कुरूजांगल, द्वारकापुरी, श्रीगान्धिल, आवासे, हर्म्य, प्रासाद, सद्म, शाला, मन्दिर, दीर्घिका, राजा, राजा का उत्तराधिकारी, राजा की दानवीरता एवं यश, सैन्य, दुर्ग, परिखा, वप्र, सभा, वर्ण और जाति, परिवार, विवाह, भोजनपान, आजीविका के साधन, वाहन, आभूषण - शिरोभूषण, कर्णाभूषण, कण्ठाभूषण, कराभूषण, वस्त्र, शिक्षा, संस्कार - पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, पुत्रोत्पत्ति, नामकरण, चौलकर्म, विद्यारंभ, दारकर्म, मृत्यु, मनोरंजन के साधन - संगीत वाद्य और नृत्य, स्वप्न तथा उनके फल ।
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अध्याय
सात : प्रभाव एवं अवदान
२११-२२०
कालिदास का वाग्भट पर प्रभाव, भर्तृहरि का वाग्भट पर प्रभाव, कुमारदास का वाग्भट पर प्रभाव, भारवि का वाग्भट पर प्रभाव, माघ का वाग्भट पर प्रभाव, बाणभट्ट का वाग्भट पर प्रभाव, हरिचन्द्र का वाग्भट पर प्रभाव । वाग्भट का वीरनन्दि पर प्रभाव, वाग्भट का मुनिज्ञानसागर पर प्रभाव ।
अध्याय
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आठ : उपसंहार
परिशिष्ट : सन्दर्भग्रन्थानुक्रमणिका
२२१-२२६