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________________ 20 जैन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में आदिपुराण 1. वृषभ नाथ का, 2. अजित नाथ का, 3. सम्भव नाथ का 4 अभिनन्दन नाथ का, 5. सुमति नाथ का, 6. पद्म प्रभु का, 7. सुपार्श्व नाथ का, 8. चन्द्र प्रभ का, 9. पुष्पदन्त का, 10. शीतल नाथ का, 11. श्रेयांस नाथ का, 12. वासुपूज्य का, 13. विमल नाथ का, 14. अनन्त नाथ का, 15. धर्म नाथ का, 16. शान्ति नाथ का, 17. कुन्थु नाथ का, 18. अरनाथ का, 19. मल्लिनाथ का, 20. मुनिसुव्रतनाथ का, 21. नमिनाथ का, 22. नेमिनाथ का, 23. पार्श्व नाथ का, 24. सन्मति महावीर स्वामी का। 2 ___ इस प्रकार 24 तीर्थंकरों के ये 24 पुराण हैं। इनका जो समूह है, वही महापुराण कहलाता है। जैन और बुद्ध पुराण वेद, वेदांग और पुराणों की भाँति जैन-धर्मावलम्बियों के भी वेद वेदांग और पुराण आदि हैं जो अपना स्वतन्त्र महत्त्व रखते हैं। ब्राह्मण धर्म के नाम से जिस प्रकार अष्टादश महापुराणों तथा अनेक उपपुराणों का वर्णन हुआ है, वैसा जैन पुराणों में नहीं, फिर भी संख्या और विस्तार की दृष्टि से यदि विचार किया जाए तो जैन साहित्य में भी पुराणों की संख्या बहुत है। इसके अतिरिक्त आदिपुराण की प्रस्तावना में कुछ अन्य पुराणों की गणना भी की गई है जिनका नामोल्लेख84 इस प्रकार है जैन पुराण पुराण नाम रचयिता रचना संवत जिनसेन नवीं शती 18वीं शती 15वीं शती 1. आदिपुराण आदिपुराण (कन्नड़) आदिपुराण आदिपुराण आदिपुराण (अपभ्रंश) महापुराण 2. अजित पुराण 3. पद्म पुराण-पद्मचरित्र पद्म पुराण पद्म नाथ पुराण कवि पंप भट्टारक चन्द्रकीर्ति भट्टारक सकलकीर्ति महाकवि पुष्पदन्त आचार्य मल्लिषेण अरुण मणि रविषेण भ. सोमसेन भ. शुभचन्द्र 1104 1716 705 17वीं शती
SR No.022656
Book TitleJain Darshan Ke Pariprekshya Me Aadipuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSupriya Sadhvi
PublisherBharatiya Vidya Prakashan
Publication Year2010
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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