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________________ (xxiii) पंचम अध्याय आदिपुराण में पुण्य-पाप, आस्रव, संवर, निर्जरा, निर्जरा के हेतु तप, ऋद्धि, दान विमर्श 191-300 पुण्य पाप 190 पुण्य-पाप और उसके प्रकार; समीक्षा 195 आस्त्रव आस्रव और उसके प्रकार; आस्रव के भेदोपभेद; समीक्षा संवर 200 व्युत्पत्ति और उसका लक्षण; संवर के प्रकार और हेतु; समीक्षा निर्जरा 212 निर्जरा और उसका साधन-तप 213 तप की परिभाषा और उसके भेदोपभेद ऋद्धि 242 ऋद्धि का स्वरूप और उसके भेदोपभेद; निर्जरा साधन-दान; समीक्षा; निर्जरा साधन-व्रत; समीक्षा षष्ठ अध्याय आदिपुराण में ईश्वर सम्बन्धी विभिन्न धारणाएँ एवं रत्नत्रय विमर्श । 301-334 ईश्वर - सृष्टिकर्ता नहीं; रत्नत्रय; सम्यग्दर्शन और उसके अंग इत्यादि; सम्यग्ज्ञान और भेदोपभेद; नय, स्याद्वाद, सप्तभंगी; समीक्षा; सम्यक्चारित्र और उसके भेद; समीक्षा सप्तम अध्याय आदिपुराण में मोक्ष और सिद्धशिला विमर्श 335-343 मोक्ष और उसके भेद; सिद्ध का स्वरूप और उसके गुण; सिद्ध शिला; समीक्षा सन्दर्भ ग्रन्थ सूची अनुक्रमणिका 344
SR No.022656
Book TitleJain Darshan Ke Pariprekshya Me Aadipuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSupriya Sadhvi
PublisherBharatiya Vidya Prakashan
Publication Year2010
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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