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अध्यापन सम्बन्धी सेवाएँ करते रहे हैं। इनका सदैव योगदान मुझे प्राप्त होता रहा है। श्री वीर सिंह जैन (पंचकूला निवासी) की भी मैं आभारी हूँ जो पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रत्येक कार्य को सहर्ष करते रहे हैं। मैं धर्मनिष्ठ सुश्रावक भाई श्री जितेन्द्र जी (जैन साहब) का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ जो हमारे अध्ययन को सुचारु रूपेण चलाने में योग्य प्रोफेसरों की व्यवस्था करते रहे हैं और हमारे उत्साह को बढ़ाते रहे हैं।
इस ग्रन्थ के प्रकाशन के सन्दर्भ में मैं धर्मनिष्ठ सुश्रावक श्री किशोर चन्द्र के सुपुत्र श्री रमण जी की मैं आभारी हूँ जिन्होंने अत्यन्त अल्प समय में इस पुस्तक का मुद्रण कराया।
धर्म परायणा सुश्राविका माता श्री तारा देवी जैन पिता दानवीर सेठ धर्मनिष्ठ सुश्रावक श्री हरिचन्द ( गुजरवाल वाले) की मधुर स्मृति में उनकी पुत्रवधू स्नेहशीला बहन श्री उषा जी धर्मपत्नी उदारहृदयी सेवाभावी सुश्रावक श्री रोहताश जैन (जैन कम्प्यूटर धर्मकण्डा, मो. 9417026805) होशियारपुर निवासी ने इस ग्रन्थ के प्रकाशन का सम्पूर्ण लाभ लिया है। यह परिवार सदैव सेवा - भक्ति व धर्म-ध्यान, श्रद्धा भावना से ओत-प्रोत रहा है। श्रद्धेया गुरुणी जी म. का हार्दिक आशीर्वाद इस परिवार पर बना रहे। इस प्रकार धर्म-प्रभावना के क्षेत्र में अग्रसर होता रहे। यही मेरी मंगल कामना व शुभ भावना है।
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मैं अन्त में होशियारपुर श्री संघ की भी बहुत आभारी हूँ – जिस समाज ने हमें योग्य बनाने के लिए हमारा बहुत साथ दिया है और हमारा कदम-कदम पर सभी दृष्टियों से ध्यान रखा है। हमें होशियारपुर श्री संघ की सेवा - भक्ति सदैव स्मरणीया रहेगी।
साध्वी सुप्रिया