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आभार प्रदर्शन
प्रस्तुत शोध प्रबन्ध गुरुजनों, शुभचिन्तकों, सहयोगियों की प्रेरणा तथा विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से ही पूर्ण हो सका है, अतः उन सबके प्रति आभार व्यक्त करना मैं अपना परम पवित्र कर्त्तव्य समझती हूँ।
सर्वप्रथम श्रमण संघ के चतुर्थ पट्टधर जन-जन के तारक, मैत्री के मसीहा, ध्यान योगी आचार्य सम्राट पूज्य डॉ. श्री शिवमुनि जी महाराज की अति आभारी हूँ, जिन्होंने मेरे उत्साह के लिए शुभाशीर्वाद लिखकर भेजा है। साथ ही अध्ययन हेतु ग्रन्थ उपलब्ध करवाते रहे हैं। इसके अतिरिक्त मैं परम श्रद्धेय उत्तर भारतीय प्रवर्तक भण्डारी श्री पद्म चन्द जी म. का एवं उनके सुयोग्य विनयवान् सुशिष्य वाणी के जादूगर साहित्य सम्राट प्रवर्तक परम श्रद्धेय गुरुदेव श्री अमर मुनि जी म., आत्मकुल कमल दिवाकर श्रमण रत्न भोले बाबा गुरुदेव श्रद्धेय श्रीरत्न मुनि जी म. व्याख्यान वाचस्पति ग्राम-सुधारक परम श्रद्धेय गुरुदेव श्रीक्रान्ति मुनि जी म. सरस्वती पुत्र साहित्य जगत के ज्योतिर्मय नक्षत्र उपाध्याय प्रवर परम श्रद्धेय श्रीरमेश मुनि जी म., जिन्होंने इस ग्रन्थ की प्रस्तावना लिखकर मुझ पर महान् उपकार किया तथा अपनी उदारता का परिचय दिया है। इन सभी के शुभाशीर्वाद और अपार कृपा से यह शोध प्रबन्ध लिख सकी हूँ।
मैं विशेषकर आगम ज्ञाता परम श्रद्धेय परम उपकारी उपाध्याय प्रवर गुरुदेव श्री जितेन्द्र मुनि जी म. की बहुत-बहुत आभारी हूँ जिन्होंने मेरे लेखन कार्य में अपना अमूल्य समय प्रदान किया एवं आगमों का गहन गम्भीर अध्ययन करवाया। समय-समय पर वे अपना शुभाशीर्वाद भी मुझे प्रदान करते रहे हैं। गुरुदेव की मैं सदैव ऋणी रहूँगी।
मैं अपनी बड़ी दादी गुरुणी जी म. कण्ठकोकिला परम उपकारिणी ब्रह्मचारिणी उपप्रवर्तिनी महासती श्री सीता जी म. व संयम साधिका परम श्रद्धेया महासती श्रीशिमला जी म. (अबोहर वाले) एवं तपसिद्ध योगिनी परम तेजस्विनी जीवननिर्मात्री जन-जन कल्याणकारिणी श्रद्धामयी, उग्रतपस्विनी महासती श्री सुमित्रा जी म., तप सिद्ध योगिनी परम यशस्विनी परम-विदुषी दीप्ततपस्विनी महासती श्रीसन्तोष जी म. की अन्त:करण से आभारी हूँ जो मेरी संसार पक्ष