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आदिपुराण में अजीव तत्त्व विमर्श
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11. आकाशस्यानन्ताः
- त.सू. 5.9 12. लोक्यन्तेऽस्मिन्निरीक्ष्यन्ते जीवाद्यर्थाः सपर्ययाः। इति लोकस्य लोकत्वं निराहुस्तत्त्वदर्शिनः।।
- आ.पु. 4.13 13. जै.द. (न्या.वि.श्री.) प. 18-19 14. रा.वा. 5.10.2 15. जै.द. - (मो.ला.मे.) पृ. 19 16. वर्णगन्धरसस्पर्शयोगिनः पुद्गला मता:। पूरणाद् गलनाच्चैव संप्राप्तान्वर्थनामकाः।।
- आ.पु. 24.145 17. पूरणगलनान्वर्थसंज्ञत्वात् पुद्गलाः।
- त.रा.वा. पृ. 190 18. धर्माधर्मवियत्कालपदार्था मूर्तिवर्जिताः। मूर्तिमत्पुद्गलद्रव्यं तस्य भेदानितः शृणु।।
- आ.पु. 24.144 19. गलनपूरणस्वभावसनाथः पुद्गल।
- नि.सा.ता.वृ. 9 20. स्पर्शरसगन्धवधर्णवन्तः पुद्गलाः।
शब्दबन्धसौम्यस्थौल्यसंस्थानभेदतमश्छायाऽऽतपोद्योतवन्तश्च। - त.सू. 5.23-24 21. भ.सू. 7.10; त.सू. 5.4 22. परमाणु दो प्रकार के हैं - सूक्ष्म और व्यवहार। सूक्ष्म परमाणु तो अव्याख्येय हैं।
व्यवहार परमाणु जो अनन्तानन्त सूक्ष्म परमाणु पुद्गलों का समुदाय है, वह भी शास्त्र अग्नि, जल आदि से अप्रतिहत रहता है। - अनु.सू. 330-346; गणितानुयोग पृ.
756-57 23. न्यायकोष पृ. 502 24. आ.पु. 24.146 25. त.सू. 5-25 26. स्कन्धाणुभेदतो द्वेधा पुद्गलस्य व्यवस्थितिः।
स्निग्धरूक्षात्मकाणूनां संघातः स्कन्ध इष्यते।। व्यणुकादिर्महास्कन्धपर्यन्तस्तस्य विस्तर:। छायातपतमोज्योत्स्नापयोदादि प्रभेदभाक्।। अणवः कार्यलिङ्गाः स्युः द्विस्पर्शाः परिमण्डलाः। एकवर्णरसा नित्याः स्युरनित्याश्च पर्ययः।।
-- आ.पु. 24.146-148 26अ. भ.श. 2, उ. 90 27. स्कन्धास्तु बद्धा एवेतिपरस्परसंहत्या व्यस्थिताः।
- त.सू. 5.25 के भाष्य पर सि.से. गणि टीका 28. त.सू. 5.24 का भाष्य तथा 5.25 सू. उ. सू. 36.11 29. सूक्ष्मसूक्ष्मास्तथा सूक्ष्माः सूक्ष्मस्थूलात्मका: परे। स्थूलसूक्ष्मात्मका: स्थूला: स्थूलस्थूलाश्च पुद्गलाः।।
आ.पु. 24.149