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श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र
हस्योद्घाटन रहस्योद्घाटन रात्रि का समय है । जंगल में सन्नाटा छा रहा है । आकाश में तारे टिमटिमाकर तुरंत ही में निकले हुए चंद्रमा की ज्योति बढ़ा रहे हैं । जंगल में कहीं - कहीं पर गीदड़ और उल्लू का शब्द सुनायी दे रहा है । ऐसे प्रशांत समय जंगल में गोला नदी के किनारे पर आम के पेड़ के नीचे दो सुंदर युवक बैठे हैं। और कांपते हुए शरीर से नम्रतापूर्वक उनके सामने खड़ी हुई एक युवती उनसे कुछ कह रही
है।
उसे नजदीक आयी देख कुमार ने मीठी आवाज से कहा - "भद्रे! तूं कौन है? ऐसी घोर अंधेरी रात्रि में इस निर्जन जंगल में तुझे अकेली आने का क्या कारण हुआ? तेरा शरीर किस भय से कांप रहा है? हम दोनों परदेशी हैं । रास्ते ही में रात पड़ जाने से हमने यहां ही विश्राम कर लिया है, परंतु हम इस प्रदेश से सर्वथा अनजान हैं" इस तरह कमार ने उसी मीठे वचनों द्वारा कुछ आश्वासन सा दिया।
___ कुमार के वचनों पर विश्वास रख वह आगंतुक स्त्री बोली - "हे क्षत्रिय पुत्रों! मैं आपके पूछे हुए प्रश्नों का उत्तर देती हूँ। आप जहां पर बैठे हैं यह गोला नदी के किनारे का प्रदेश है । यहां से बिल्कुल नजदीक चंद्रावती नामकी नगरी है । और वहां पर वीरधवल राजा राज्य करता है। आगंतुक स्त्री के मुख से यह समाचार सुनकर महाबल का हृदय हर्ष और आश्चर्य से पूर्ण हो गया। वह सोचने लगा, भाग्य की कैसी विचित्र गति है? ऐसे संकट में पड़कर भी मैं अपने इष्ट स्थान के समीप ही आ पहुंचा हूँ । मृत्यु के मुख में गयी हुई राजकुमारी भी मुझे जीवित ही मिल गयी । ऐसे मरणांत संकटों में भी मेरा भाग्य मुझे पूर्ण सहायता दे रहा है, इसलिए मुझे संकटपूर्ण समय में जरा भी हिंमत नहीं हारना चाहिए।
महाबल - भद्रे! क्या इस राजा के वहां कुछ नयी घटना घटी है?
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