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श्री महाबल मलयासुंदरी चरित्र
कठिन परीक्षा
थोड़े ही समय में दुःख के भयंकर सागर को पार किया । ऐसे संकट में भी इतनी परोपकार बुद्धि और इतना धैर्य आपके बिना और कौन रख सकता है?
राजा के कहने से योगी के मंत्र साधन का स्थान देखने पर उस अग्निकुंड में पड़ा हुआ योगी का शरीर सुवर्ण पुरुष के रूप में देख पाया । उस सुवर्ण को वहां से उठवाकर राजा ने अपने खजाने में भिजवा दिया । सुवर्ण पुरुष का यह प्रभाव होता है कि संध्या समय उसके हाथ पैर काट लेने पर रात्रि में वह फिर वैसा ही अंगोपांग सहित हो जाता है । अब राजा अपने परिवार सहित नगर में आ गया । प्रजाजन भी अपने - अपने स्थान पर चले गये । परिवार सहित राजा के पुनर्जन्म की प्राप्ति की खुशी में नागरिक लोगों ने नगर में दश दिन तक महोत्सव किया । राजा ने भी याचकों को खूब प्रीतिदान दिया ।
नाशवंत पदार्थ की शरण ढूंढने वाले की शरण में जाना अज्ञता है । पर को अपना मानना आत्मवंचना है । ममत्वभाव जन्म मरण को बढ़ानेवाला है । अतः इन कारणों से आत्मा को बचाना हितावह है ।
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- जयानंद