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________________ शुद्धिपत्रक २३२ २३६ २४६ २४७ अशुद्ध २३१ पुरमध्युवासं पुरमध्युवास संयोजनयन्त संयोजयन्त २३३ यबिभ्यतुः यद् बिभ्यतुः सर्गह ६ सर्ग ६ २३८ प्रणतोत्तभाङ्गा प्रणतोत्तमाङ्गाः २३९ चन्द्रान्द्रयः चन्द्रादयः २४० दीघार्द्ध दीर्घार्द्ध २४१ वांछित वाधित स सुरेभगवान् स सुरैर्भगवान् नमस्तो नभस्तो २४८ भवामिधानो भवाभिधानो २५१ चतुररस्रा चतुरस्रा २५२ वभूव बभूव २५२ मोतियोंकी शिलापट्ट मोतियोंके शिलापट्ट २५८ -मगाङ्गणेशम् -मगाद्गणेशम् २५८ घिया धिया -दाविवाय -दानिनाय २५९ त्रया २६० करणक्रमावरण वरण करणक्रमावरण २६० सुतसामारुत क्षुतसुमारुत २६० २६१ -प्युरु निकाम प्युरु काम२६५ मन्द्रमन्द्रं मन्द्रंमन्द्रं २६६ अथामिका अथायिकाः २६६ षद्भिः षड्भिः अनुष्टुप ३६८ वर्द्धमानचरित्रं यः अनुष्टुप् वर्द्धमानचरित्रं यः प्रव्याख्यणि प्रव्याख्याति२६८ ९१४ सम्वत् ९१० सम्वत् दूरवर्ती होनेके कारण मैं प्रूफ स्वयं नहीं देख सका इसलिये मद्रणमें रही अशुद्धियोंके लिये मैं पाठकोंसे क्षमाप्रार्थी हूँ। समस्त पदोंके मूढाओं सम्बन्धी व्यस्तताको इस शुद्धिपत्रमें अङ्कित नहीं किया जा सका है, इसे पाठक स्वयं शुद्ध करते चलें। स्वाध्याय करनेके पूर्व उपर्युक्त अशुद्धियाँ ठीक कर लेनेसे स्वाध्यायमें सुविधा होगी। २५८ त्रपा सुदुर्धरः सुदुर्धर २६८ २९
SR No.022642
Book TitleVardhaman Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Muni, Chunilal V Shah
PublisherChunilal V Shah
Publication Year1931
Total Pages514
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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