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सन्धान- कवि धनञ्जय की काव्य-चेतना
दशम सर्ग
दूतसंवादकथनम्
रामकथा-लक्ष्मण का रामदूत के रूप में सुग्रीव के निकट आना । लक्ष्मण द्वारा सुग्रीव को फटकार । प्रतिवर्जना के रूप में क्रोधाविष्ट सुग्रीव द्वारा रावण के बल की प्रशंसा करते हुए लक्ष्मण को रावण से युद्ध न करने के लिये कहना । कठोर व्यवहार का आश्रय लेकर लक्ष्मण द्वारा सुग्रीव को राम के समीप भेजना ।
पाण्डवकथा— जरासंध के दूत पुरुषोत्तम का श्रीकृष्ण के पास आगमन । पुरुषोत्तम द्वारा श्रीकृष्ण को जरासंध के सम्मुख समर्पण करने की सम्मति । श्रीकृष्ण एवं बलराम का दूत पुरुषोत्तम को फटकारना । दूत द्वारा स्वामी के प्रति अवज्ञा असह्य होने की बात कहकर स्वदेश वापस जाना ।
एकादश सर्ग सुग्रीवजाम्बवानाञ्जनेय- नारायणपाण्डवादिमन्त्रकथनम्
रामकथा - सुग्रीव द्वारा अपने मन्त्रियों के साथ मन्त्रशाला में मन्त्रणा करना । जाम्बवान् द्वारा समग्र युद्धनीति का विवेचन | हनुमान द्वारा जाम्बवान् का अनुमोदन । मन्त्रणा के अनन्तर युद्ध का निश्चय ।
पाण्डवकथा – श्रीकृष्ण द्वारा नीति-निपुण व्यक्तियों से मन्त्रशाला में मन्त्रणा करना । युधिष्ठिर द्वारा समस्त युद्ध-नीति की विवेचना | भीम द्वारा युधिष्ठिर का अनुमोदन । बलराम द्वारा युद्ध के पक्ष में सम्मति एवं युद्ध का निश्चय ।
द्वादश सर्ग लक्ष्मणवासुदेवकोटिशिलोद्धरणकथनम्
रामकथा - मंत्रणा - समाप्ति पर सुग्रीव का राम आदि के साथ कोटिशिला की ओर गमन । हनुमान एवं लक्ष्मण की कोटिशिला के सम्बन्ध में वार्त्ता । तदनन्तर लक्ष्मण द्वारा कोटिशिला - उद्धरण ।
पाण्डवकथा - मंत्रणा - समाप्ति पर श्रीकृष्ण का बलराम तथा अन्य राजाओं साथ कोटिशिला की ओर गमन । भीम एवं श्रीकृष्ण की कोटिशिला के सन्दर्भ में वार्त्ता । तदनन्तर श्रीकृष्ण द्वारा कोटिशिला - उद्धरण ।