________________
सन्धान-महाकाव्य : इतिहास एवं परम्परा चिन्तामणि नामक पौराणिक महाकाव्य लिखा, जिसमें शिव से सम्बद्ध विविध पौराणिक कथाओं का वर्णन है । परवर्ती-काल में कृष्णदास कविराज ने भागवत की शैली में गोविन्दलीलामृत और सतरहवीं शती में नीलकण्ठ दीक्षित ने स्कन्दपुराण को स्रोत मानकर शिवलीलार्णव नामक महाकाव्य लिखे। यशोधर की जैन-कथा के आधार पर भी कई यशोधरचरित लिखे गये। तेरहवीं शती में अमरचन्द्र ने पद्मानन्द हरिश्चन्द्र ने धर्मशर्माभ्युदय, अभयदेव सूरि ने जयन्त-विजय और वाग्भट ने नेमिनिर्वाण नामक महाकाव्यों की रचना की। इन महाकाव्यों में पौराणिक-शैली के साथ-साथ कथात्मक और शास्त्रीय शैलियों का सुन्दर सन्निवेश हुआ है। प्राकृत पौराणिक महाकाव्य
प्राकृत भाषा का प्राचीनतम महाकाव्य विमलसूरी का पउमचरिय है। विन्टरनित्ज़' विमल सूरि को प्रथम शती का और जैकोबी२ तृतीय-चतुर्थ शती ई. का स्वीकार करते हैं, जबकि मुनिजिनविजय, केशवलाल ध्रुव, ए. सी. उपाध्याय आदि विद्वान् उन्हें बाणभट्ट के बाद का मानते हैं । इस संदर्भ में जैकोबी का कथन है कि यह तृतीय-चतुर्थ शती में रचित प्राकृत का प्राचीनतम महाकाव्य है, जो वाल्मीकि रामायण की कथा का जैन रूपान्तर है । इसकी भाषा प्रारम्भिक प्राकृत है
और यह महाकाव्य की सरल शैली में लिखा गया है । इस आधार पर ही जैकोबी ने अनुमान किया है कि विमलसूरी के पूर्व भी प्राकृत में अनेक लोक-प्रचलित महाकाव्य थे और पउमचरिय उनमें से एक है, जो आज भी प्राप्त है।
पौराणिक शैली के अन्य ग्रन्थ आठवीं शती के बाद के लिखे हुए मिलते हैं। गुणपाल का जम्बूचरित, लक्ष्मणदेव का णेमिणाहचरिय, सोमप्रभ का १. Winternitz, M. : History of Indian Literature, Vol.II,
Delhi, 1972, p. 489. २. द्रष्टव्य Encyclopaedia of Religion and Ethics, Vol. 7,
p.437 and Jacobi, H. : Some Ancient Prakrit Works
(Modern Review, December, 3-36) ३. द्रष्टव्य-डॉ.श्यामशंकर दीक्षित :तेरहवीं-चौदहवीं शताब्दी के जैन संस्कृत महाकाव्य,
मलिक एण्ड कम्पनी,जयपुर,१९६९,पृ.६० ४. Jacobi, H. : Some Ancient Prakrit Works (Modern
Review, December, 1914)