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सन्धान-कवि धनञ्जय की काव्य-चेतना सिंचाई के साधन
___ यद्यपि भारत में सिंचाई का प्रमुख साधन वर्षा, नहर, तालाब आदि का जल ही रहा है, तथापि अन्य साधनों से भी खेतों की सिंचाई करने की सुविधा उस समय उपलब्ध थी । द्विसन्धान-महाकाव्य में घटीयन्त्र अर्थात् 'रहट' सदृश जलयन्त्रों का उल्लेख आया है । इस घटीयन्त्र के अरों' अर्थात् काष्ठ कीलों को पांवों से दबाने पर पानी निकाला जा सकता था। द्विसन्धान में सिंचाई की एक अन्य विधि का उल्लेख भी है। इसके अनुसार पहले किसी यन्त्र द्वारा पानी को एकत्र करने के उपरान्त उसका प्रणालियों या नालियों द्वारा निकास कर सिंचाई की जाती थी।२ प्रमुख उपज
द्विसन्धान-महाकाव्य के अनुसार उस समय धान तथा ईख प्रमुख उपज रही होंगी । द्विसन्धान में षष्ठिक धान की पैदावार का विशेष उल्लेख है । इसी प्रकार ईख के रस की लोकप्रियता का वर्णन भी हुआ है। (२) वृक्ष-उद्योग
कृषि के साथ-साथ उद्यान-व्यवसाय भी उन्नति पर था। तत्कालीन जन-जीवन में वनोद्यान आदि का विशेष महत्व था । ये उद्यान आदि विश्राम-स्थल थे। राजा लोग सैन्य-प्रयाण के समय वनोद्यान आदि में ही अपने शिविर लगाते थे, अत: उनका संरक्षण इन वनादि को प्राप्त था। वनों, उद्यानों, वाटिकाओं तथा नदी-तटों पर वृक्ष उगाये जाते थे । वृक्ष आर्थिक दृष्टि से भी उत्पादन के महत्वपूर्ण साधन रहे थे। द्विसन्धान-महाकाव्य में अनार, कैथई, जम्बू आदि फलों के वृक्षों का उल्लेख मिलता है, जो आर्थिक व्यवसाय से सीधे जड़े हए हैं । इनके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की भोग-विलास की सामग्री भी इन्हीं वनोद्यानों से उत्पन्न की जाती १. द्विस., १.१३ २. वही,१:२३ ३. वही,२:२३ ४. वही,१०.१ ५. वही, ७.६८ ६. वही,७६५ ७. वही,१.१०