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द्विसन्धान-महाकाव्य का सांस्कृतिक परिशीलन
१. सामन्त १
मध्यकालीन शासन-व्यवस्था में इन सामन्त राजाओं का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान था । ऐसे सामन्त राजा किसी बड़े राजा के अधीन रहकर उसके मन्त्रिमण्डल जो भी लाभ हो सके उसके लिये सतत प्रयत्नशील रहते थे ।
२. अमात्य २
समस्त राजकार्यों की व्यवस्था अमात्य के माध्यम से ही की जाती थी । इसे नेमिचन्द्र शास्त्री ने प्रधानमन्त्री के समकक्ष स्वीकार किया है । ३ युद्ध, आक्रमण, कर, शुल्क एवं दण्ड के लिये यह राजा को परामर्श देता था । राजा भी इसके परामर्श बिना कोई कार्य प्रारम्भ नहीं करता था ।
३. सचिव
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सैनिक तथा व्यवस्था सम्बन्धी गतिविधियों की सूचना राजा सचिव से प्राप्त
करता था ।
४. मन्त्री ४
साम, दाम, भेद और दण्ड चतुर्विध नीति का यथोचित उपयोग तथा उसके परिणाम का विचार मन्त्री ही करता था ।
५. सेनापति
नेमिचन्द्र ने पद-कौमुदी टीका में इसका चमूभर्ता शब्द से उल्लेख किया है। सैन्य विभाग की सारी व्यवस्था व जिम्मेदारी सेनापति पर होती थी । राजा की समस्त चतुरंगिणी सेना इसी के अधीन मानी जाती थी ।
१. द्विस, १२.३७, १४.८,२६
२.
वही, १४.१
३.
नेमिचन्द्र शास्त्री : संस्कृत काव्य के विकास में जैन कवियों का योगदान, पृ. ५२६
४. द्विस,४.३३,११.१
५. वही, २.२२ पर पद कौमुदी टीका, पृ. ३१