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आ. म. श्री विजयोदयसूरीश्वरजी म. व शास्त्रविशारद पू. आ.म. श्री विजयनन्दन - सूरीश्वरजी म. के करकमल से दीक्षा ली । दीक्षा के समय सादडी श्री संघने अच्छा महोत्सव किया था । वह आज बालसाध्वी हेमलता श्रीजी के नामसे साध्वीजी श्री चारित्र श्रीजी की शिष्या हैं । इस दीक्षा प्रसंग का वर्णन इस काव्य के अन्त में पूज्य महाराजश्रीने सुन्दर ढंग से किया है
आपकी माता प्रभावती बेनने भी अमदावाद (पांजरापोल ) में सं. २०१२ जेठ सुद ३ सोमवार को महोत्सव के साथ पू.आ.म. श्री उदयसूरिजी म. व पू. आ. म. श्री विजयनन्दनसूरिजी म. के करकमल से दीक्षा ली है । उनका 'साध्वी पद्मलताश्रीजी' नाम रखकर सा. चारित्र श्रीजी की शिष्या बनाई गई हैं ।
कोटिशः वन्दन हो आप जैसे मुनिराजों को एवं संस्कारी कुटुम्बी जनों को !
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निर्ग्रथमुनियों का चरणरज शा. हस्तीमल कोठारी सादड़ी-मारवाड़
विविध हैम रचना समुच्चय