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[श्रीउसराध्ययन सूत्र
॥ अहं दुमपत्तयं दसमं अज्झयणं ।
दुमपत्तए पंडुरए जहा,
निवडइ राइगणाण अथए। एवं मणुयाण जीविय,
समयं गोयम!मा पमायए ॥१॥ कुसग्गे जह अोसबिन्दुए,
थोवं चिट्ठइ लम्बमाणए । एवं मणुयाण जीवियं, ___ समयं गोयम! मा पमायए ॥२॥ 'इह इत्तरियम्मि पाउए,
___जीवियए बहुपश्चवायए । विहुणाहि रयं पुरे कडं, ___ समयं गोयम! मा पमायए।।३।। दुल्लहे खलु माणुसे भवे,
चिरकालेण वि सव्वपाणिण । गाढा य विवाग कम्मुणो,
समयं गोयम ! मा पमायए ॥४॥ पुढ विकायमइगओ,
उक्कोसं जीवो उ संवसे। कालं संखाईयं,
समयं गोयम मा ! पमायए।॥५॥ प्राउकायमगओ,
उक्कोसं जीवो उ संवसे ।
१. एवं माणुशाण जीविए एत्तिरिए बहुपञ्चवायए ।