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चूलिया २
दसवेआलियसुतं
गई च गच्छे अणभिज्झियं दुहं
बोही य से नो सुलभा पुणोपुणे ।। १४ ॥ इमस्स ता नेरइयस्स जंतुणो
दुहोवणीयस्स किलेसवत्तिणे । पलिओवमं झिजइ सागरोवमं
किमंग पुण मज्म इमं मणोदुई ? ॥ १५ ॥ न मे चिरं दुक्खमिणं भविस्सइ ___ असासया भोगपिवास जंतुणो। न चे सरीरेण इमेणऽवेस्सइ ___ अवेस्सई जीवियपजवेण मे ॥ १६॥ जस्लेवमप्पा उ हवेज निच्छिओ
चएज देहं न उ धम्मसासणं । तं तारिसं नो पथलेन्ति इन्दिया
उविन्तवाया व सुंदसणं गिरिं ॥ १७ ॥ इच्चेव संपस्सिय बुद्धिमं नरो
आयं उवायं विविहं वियाणिया । कारण वाया अदु माणसेणं तिगुत्तिगुत्तो जिणवयणमहिडिजासि॥१८॥ त्तिबेमि॥
॥ रइवक्का पढमा चूलिया समत्ता ॥ ॥ विवित्त चरित्राणामा बीया चूलिया ।। चूलियं तु पवक्खामि सुयं केवलिभासियं । जं सुणित्तु सपुजाणं धम्मे उप्पजए मई ॥ १ ॥ अणुसोयपट्टिए बहुजणम्मि पडिसोयलद्धलक्खेणं । पडिसोयमेव अप्पा दायव्यो होउकामेणं ॥२॥ अणुसोयसुहा लोगो पडिसोओ श्रासवो सुविहिया । अणुसोगो संसारो पडिसोश्रो तस्स उत्तारो॥३।।