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दसवेआलियसुत्तं.
'अजय चिमाणो उ पाणभूयाई हिंसइ । बन्धइ पावयं कम्मं, तं से होइ कडुयं फलं ॥ २ ॥ अजयं आसमाणो उ पाणभूयाई हिंसइ । बन्धइ पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ॥ ३ ॥ अजयं सयमाणो उ पाणभूयाई हिंसइ । बन्धइ पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ॥ ४॥ अजयं भुञ्जमाणो उ पाणभूयाई हिंसइ । बन्धइ पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ॥ ५ ॥ अजयं भासमाणो उ पाणभूयाई हिंसइ । बन्धइ पावयं कम्मं तं से होइ कडुयं फलं ॥ ६ ॥ कहं चरे ? कहं चिठ्ठे ? कहं आसे ? कहं सए ? । कहं भुञ्जन्तो भासन्तो पावं कम्मं न बन्धइ ? ॥ ७ ॥ जयं चरे, जयं चिट्ठे, जयं आसे, जयं लए । जयं भुञ्जन्तो भासन्तो पावं कम्मं न बन्धइ ॥ ८ ॥ सव्वभूयप्पभूयस्स सम्मं भूयाई पासओ । पिहियासवस्स दन्तस्स पार्व कम्मं न बन्धइ ॥ ९ ॥ पढमं नाणं तओ दया, एवं चिठ्ठइ सव्वसंजए । अन्नाणी किं काही किं वा नाहिइ 'छेय पावगं ॥ १० ॥ "सोच्चा 'जाणइ कल्लाणं सोच्चा जाणइ पावगं । उभयं पि जाणई सोच्चा जं छेयं तं समायरे ॥ ११ ॥ जो जीवे विन "याणाइ अजीवे वि न याणइ । जीवाजीव अयाणतो कह सो 'नाहीइ संजमं ॥ १२ ॥ जो जीवे वि वियाणाइ अजीवे वि वियाणइ । जीवाजीवे वियाणतो सो हु नाही उ संजमं ॥ १३ ॥ जया जीवमजीवे य दो वि एए वियाणइ । तया गई बहुविहं सव्वजीवाण जाणइ ॥ १४ ॥ जया गई बहुविहं सव्वजीवाण जाणइ । तया पुणं च पावं च 'बंधं मोख्खं च जाणइ ॥ १५ ॥
अज्झयण 8
१ अ. अयं श्लोको न दृश्यते; प्रायो लेखकप्रमादाद् भ्रष्टो भवेत्. २ अ.
- इमौ श्लोकौ व्युत्क्रमेण दृश्येते . ३ अ. क. च. नाही छेय. ४ ख. सेय. ५ ख. सुच्चा ६ क. ख. याणइ ७ च. याणइ ८ क. नाही य संजमं; च. नाही संजमं. ९ च. बंधमोक्खं च.