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________________ जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला - श्रीसुखविपाक सूत्रम् (१) तेणं कालेणं तेणं समए शं रायगिहे रणामं णयरे होत्था, रिद्धिस्थिमियसमिद्धे । गुण सिलए चेइए सुहम्मे अणगारे समोसढे । जंबू जाव पज्जुवासमाणे-एवं वयासी-जइ भंते! समणे भगवया महावीरे जाव संपत्तणं दुह विवागाणं अयम? पराणत्ते, सुहविवागा भन्ते ! समणे भगवया महावीरेणं जाव संपत्त के अटे पराणते ? तए णं से सुहम्मे अरणगारे जंवूअणगारं एवं वयासी-एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरे जाव संपत्ते सुहविवागाणं दस अज्झयणा पराणत्ता तंजहा-सुबाहू',भद्दनंदी य सुजाए य सुवासवे, तहेव जिणदासे', धणवई य महब्बले भद्दनंदी महचन्दे वरदत्ते । जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरे जाव संपत्तेणं सुहविवागाणं दस अज्झयणा पराणत्ता, पढमस्स भन्ते ! अज्झयणमल मुह विवागा सपणे भगवया महावीरेण जाव संपत्त के पट्टे पर गत्ते ? तएशं से सुहम्मे अरणगारे जंबूअरणगारं एवं यासी-एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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