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________________ चउसरण पयन्ना] सुक्क-मूले जहा रुक्खे, सिंचमाणे ण रोहति। . एवं कम्मा ण रोहंति, मोहणिजे खयं गए ॥१४॥ जहा दड्डाणं बीयाणं, न जायंति पुण अंकुरा । कम्म-बीएसु दडढेसु न जायंति भवंकुरा ॥ १५ ॥ चिञ्च। ओरालियं बोंदि, नाम-गोयं च केवली । पाउयं वेयणिज च, छित्ता भवति णीरए ॥ १६ ॥ एवं अभिसमागम्म, चित्तमादाय आउसो। सेणिसुद्धिमुवागम्म आया सुद्धिमुवागइ।त्ति बेमि ॥१७॥ ॥ इति दशाश्रुतम्कन्ध-चित्तसमाधि-नाम-पंचमी दशा ।। ॥ चउसरण पइराणा ॥ सावज जोगविरई', उक्त्तिण', गुणवओ अ पडिवत्ती। खलिअस्स निंदणा, वणतिगिच्छ',गुणधारणा चेव ॥१॥ चारित्तस्स विसोही करइ सामाइएण किल इहयं । सावजे अरजोगाण वजणासेवणत्तणो ॥ २॥ दंसणायारविसोही चउवीसत्थएण किच्चइ य। अञ्चब्भुअगुणकित्तणरूवेण जिणवरिंदाणं ॥ ३ ॥ नाणाईश्रा उ गुणा तस्संपन्नपडिवत्तिकरणाओ। वंदणएणं विहिणा कीरइ सोही उ तेसिं तु ॥४॥ खलिअस्स य तेसिं पुणो विहिणा जं निंदणाइ पडिक्कमणं । तेण पडिकमणेगां तेसिपि अकीरए सोही ॥५॥
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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