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________________ .श्रीअणुत्तरोववादसूत्र ] . [२५९ धनस्स कन्ना, से जहा नामए मूलाछलियाह वा, वालुंकछल्लियाइ वा, कारेल्लगल्लियाद वा, एवामेव० ॥ ३८ ॥ धनस्सण अणगारस्स सीसस्स अयमेवारुवे से जहानामए तरुणगलाउएइ वा, तरुणगएलालुएइ वा, सिण्हालएइ वा, तरुणए जाव चिट्ठति एवामेव धनस्स अणगारस्स सीसं सुकंभुक्ख-लुक्ख-निम्मंसं अट्ठिचम्मछिरसाए पन्नायइ नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए ॥ ३९ ॥ . __ एवं सव्वत्थमेव नवरं उदर--भायणं, कन्ना, जीहा, उट्टा, एएसिं अट्ठी न भरणइ, चम्मछिरत्ताए पन्नायंति इति भणति ॥ ४० ॥ धन्ने णं अणगारे सुक्केण भुक्खेणं पायजंघोरूणा विगत-- तडिकरालेणं कडिकडाहेण पिट्टमवस्सिएणं उदरभायणेणं जोइजमाणेहिं पासुलियकडाएहिं अक्खसुसमालाइ वा मणिजमाणेहिं पिढिकरंडगसंधीहिं गंगातरंग-भूएण, उरकडाग देसभाएणं सुक्क-सप्पेसमाणेहिं बाहाहिं सिढिल-कडाली विव लंबंतेहि य अग्गहत्थेहिं कंपणवाइए विव वेवमाणीए सीसघडीए पव्वादवदन-कमले उब्भडघडमुहे उब्बुडनयणकोसे ॥४१॥ जीवं जीवेणं गच्छइ, जीवं जीवेण चिट्ठइ भासं भासिस्सामित्ति गिलायइ से जहा नामए इंगालसगडियाइ वा, जहा खंदओ तहा हुयासणे इव भास-रासिपलिच्छन्ने, तवेणं तेएवं तवतेयसिरीए उवसोमेमाणे चिट्ठइ ॥ ४२ ॥ तेणं कालेण तेण समरण रायगिहे णयरे, गुणसिलए चेहए; सेणिय राया । समणे भगवं महावीरे समोसढे परिसा णिग्गया सेणिओ णिग्गओ, धम्मकहा, परिसा पडिगया ॥४३॥
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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