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________________ २१६ ] [ जीवन - श्रेयस्कर- पाठमाला तं समासओ चहिं पन्नत्तं, तंजहा - दव्वओ, खित्तओ, कालओ, भावओ । तत्थ व उज्जुमई अशांते अांत परसिप खंधे जागइ पासइ, ते चैव विउलमई ग्रन्भहियतराए विउलतराए विसुद्ध तराए वितिमिरतराए जागर पासइ । वित्तओ गां उज्जुमई जहमेशां अंगुलस्स असंखेजयभागं उक्कणं हे जाव इमीसे रयणष्पभाए पुढवीए उवरिमहेट्ठिल्ले खुड्डग पयरे, उड्ढं जाव जोइसस्स उवरिमतले, तिरियं जाव अंतोगुस्स वित्ते अड्डाइज्जेसु दीवसमुद्देसु पन्नरससु कम्मभूमिसु, तीला श्रकम्मभूमिसु छपन्नाप अन्तरदीव गेसु सन्निपंचेंद्रियाणं पज्जत्तयाणं मणोगए भावे जाणइ पासइ | तं चैव विलमई अड्डाइज्जेहिमंगुलेहिं अमहियतरं विडलतरं विसुद्धतरं वितिमिरतरागं खेत्तं जाणइ पासइ । , कालओ गं उज्जुमई जहन्नेां पलिश्रवमस्स असंखिज्जयभागं उक्को से वि पलिश्रवमस्स असंखिज्जयभागं अतीय मणागयं वा कालं जाणइ पासइ । तं चैव विउलमई अब्भहियतरागं विउलतरागं विसुद्ध तरागं वितिमिरतरागं जागइ पासइ । भावओ गं उज्जुमई ते भावे जाणइ पासइ, सवभावा अशांतभागं जाणइ पासइ । तं चैव विउलमई अब्भहियतरागं वितरागं विसुद्ध तरागं वितिभिरतरागं जाणइ पासइ । मणपजवना पुरा जगमगपरिचितियत्थपागडणं । माणुसखित्तनिबद्धं गुणपच्चइयं चरित्तवओ ॥ ११ ॥ से तं मणपजवनाएं || सू० १८ ||
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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