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________________ [६९] निरीक्षण करते हैं। पहले मरुभूतिभवमें दिगंबर और श्वेतांबर विश्वभूतिके साधु हो स्वर्गवासी होनेपर शास्त्रों में परस्पर भेद। कमठ और मरुभूतिको विशेष शोक करते और हरिश्चंद्र नामक माधुसे प्रतिबो धेत होनेका जो उल्लेख भावदेवमुरिने किया है वह दिगम्बर शास्त्रों में नहीं है । फिर उनने मरुभूतिकी स्त्री वसुन्धराको कामसे जनरित और कमठके साथ उसके गुप्त प्रेमको मरुभूति भेष बदलकर जान लेने तथा रानासे उसे दंडित कराने इत्यादिक बातें कहीं हैं वह भी दिगंबर शास्त्रोंमें नहीं हैं । दिगम्बरशास्त्रोंमें वसुन्धरा पहले शीलवान् ही बतलाई गई है और मरुभूतिको भ्रातृप्रेममें संलग्न तथा राजाका कमठके अन्यायके लिए उसे दंड देनेपर मरुभूतिका उसे क्षमा करने आदिकी प्रार्थना करते वतलाया गया है । दि. शास्त्र में राना अरिविन्द और मरुभूतिक एक संग्रामपर जानेका विशेष उल्लेख है। राजा अरिविन्दके मुनि हो जानेपर श्वेतांबराचार्य उन्हें मागरदत्त श्रेष्टी आदिको जैनधर्मी बनाते और उनके साथ जाते हुये हाथीका उनपर आक्रमण करते लिखते हैं; परन्तु दि० शास्त्र तीर्थयात्रापर जानेका उल्लेख करते हैं । दिगम्बर शास्त्र अग्निवेगका जन्म स्थान पुष्कलावती देशका लोकोत्तरपुर नगर और उसकी माताका नाम बिद्युत्माला बतलाते हैं; परन्तु श्वे. शास्त्रमें तिलकानगर और तिल कापती अथवा कनकतिलका माता बताई गई हैं। इनमें अग्निवेगका नाम किरणवेग है। वह अपने पुत्र हिमगिरिको राज्य दे मुनि हुआ दि० शास्त्र बताते हैं । श्वे. कहते हैं कि उसके पुत्र का नाम किरणतेनस था और वह मुनि हो वैतान्यपर्वतपर एक मूर्ति के सहारे
SR No.022599
Book TitleBhagawan Parshwanath Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1931
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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