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________________ [५ ] पूर्वधर ३५०, ३०. सिष्य १०९०० ३१. अवधिज्ञानी १४४, ३२. केवलज्ञानी १०००, ३३. मनःपर्यय ज्ञानी ७५०, ३४.. वैक्रियक १०००, ३५. वादिन् ६००, ३६. उग्रवंश, ३७.. राना सहतप, ३००, ३८. राना सहमोक्ष ३६, ३९. सिद्धषेत्र सम्मेदगिरि, ४०. लांछन धरणेन्द्र, ४१. जिनांतर वर्ष २५०, ४२. हीन ॥०, ४३. अनुबंधकेवली ३, ४४, संततकेवली ॥३, ४५. अर्जिका ३८०००, ४६. श्रावक १०००००, ४७. श्राविका ३०००००, ४८. जतीसिद्धगति ६२००, ४९. अनुत्तरगत ८८००, ५०. सौधर्म अनुत्तरगत १०००, ५१. वृक्षनाम धवलसर, ५२. वृक्षउच्च ध० १०८, ५३. पारणादिन ३ पाष, ५४. नगरी द्वारावहपुरी, ५५. दानपति धनदत्तु, ५६. चरु गोषीरं, ५७. रत्नवृष्टि ५८. जक्ष धरणेंद्र, ५९. जक्षणी पद्मावती, ६०. मोक्ष श्रावण शु० ७, ६१. मोक्षासन बैठो, ६२. योगध्यान मास १ ।" इस प्रकारका यह साहित्य है जिसमें भगवान पार्श्वनाथनीकी जीवन घटनायें संकलित हैं। इन एवं चरित्र ग्रंथों में परस्पर अन्य श्रोतोंके आधारसे ही हमने भी अन्तर क्यों है ? प्रस्तुत ग्रंथकी रचना की है। इस ___साहाय्यके लिये हम इन सब ग्रन्थकारोंके मतीव कृतज्ञ हैं । किंतु यहांपर यह देख लेना भी समुचित है कि क्या इन सब ग्रन्थोंमें एक समान ही कथन है अथवा उसमें कुछ अंतर भी है । यह तो मानना पड़ेगा कि भगवानका जीवन चरित्र एक ही रूपका रहा होगा। उनके जीवनकी एक ही घटना।
SR No.022599
Book TitleBhagawan Parshwanath Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1931
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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