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नागवंशजों का परिचय ! वहां पर कोटरक्षक वज्रमुखकी कन्याको परास्त करके इनने उसके -साथ विवाह किया था। यहांपर जो कन्यासे युद्ध करनेका उल्लेख है, वह शायद 'स्त्रीराज्य' की स्त्री शासकोंका बोधक हो; क्योंकि मिश्र, न्यू या आदिके किनारेपर ही इस स्त्री- राज्यको अवस्थित खयाल किया गया है और फिर हनुमान लंका में पहुंच जाते हैं। यहां हम पहले हनुमानको दक्षिण भारतके छोर से समरकन्द बगदाद आदिको ओर चलकर मध्य ऐशियाको लांघकर लंका पहुंचते अर्थात् मिश्र में दाखिल होते पाते हैं और यह है भी ठीक। इस रास्तेमें मध्यऐशियाका आना जरूरी है । इस तरह भी लंकाका मिश्रमें होना ठीक जंचता है |
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अब रामचंद्रनीकी लंकापर चढ़ाई ले लीजिये । पहले ही उन्हें बेलंधरपुर पहुंचा बतलाया गया है । पद्मपुराण में देशोंके नामको हम नगरोंके रूपमें प्रायः व्यवहृत हुआ पाते हैं । उदाहरणके -तौरपर रत्नद्वीप एक नगर बताया है, परन्तु वह वास्तव में एक देश था क्योंकि वह आजकलकी लंका ही है, यह हम देख चुके हैं । इसलिये वेलंधरपुर यदि कोई देश हो तो आश्चर्य नहीं ! मध्य - ऐशिया में हिन्दू शास्त्रोंका बितल प्रदेश ' आब-तेले रूपमें बतलाया गया है ।' और आब-तेलेका भाव उन हूण लोगों से है जो आक्षस ( ( xus ) नदीके किनारोंपर बसते थे। बेलंधरपुर भावतेलेके हूणों का निवासस्थान ही होसक्ता है क्योंकि बेलंधरपुरके शब्दार्थ यह होसते हैं कि बेल" (= आब-बेले - जाति) को
१. पूर्व० भाग १ पृ० १३५. २ दी इंडियन हिस्टोरीकल क्वारटली
भाग १ ० १३५