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भगवानका शुभ अवतार !
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दाको बतलानेवाली-स्वर्ग और मोक्षका साक्षात् कारण जिनपूना बड़े भक्तिभावसे होती थी ! उस समयके बनारसका सलौना दृश्य सबका ही मन हरनेवाला था। सब ही वहां आनन्दमग्न रहते थे । धर्मके प्रियकर धवल आलोकमें वहां किसी बातकी बाधा नहीं थी ! आज भी पुरातन वार्ताको प्रकट करनेवाला एक जैन मंदिर भेलूपुरामें विद्यमान है । इसप्रकार बनारस और उसके राजा विश्वसेनके दिग्दर्शन करके हम कृतार्थ होनाते हैं । अगाड़ी आइये, पाठक महोदय, प्रभुके पवित्र आगमनमें उनके दर्शन करलें ।
भगवानका शुभ अवतार ! "अनितान्वित विपातिनूतनानेकरत्नरुचिमेचकं नमः। आदधौतनुभृतामभित्तिकं चित्रमेतदिति विस्मितां मतिं ।। आस्खलनिपतदिंद्रनीलनिर्भासजालबहलांधकारिते। भातु मानुभिरभावि भावितव्योमनि कचिदकांडकुंठितः।।"
-श्री पार्श्वनाथ चरित्र। बनारस अद्वितीय शोभाको धारण किये हुये था ! 'भावी तीर्थकरका जन्म होनेवाला है' यह जानकर सुरगणोंकी विभूतिसे उसकी शोभा और भी बढ़ गई थी। इन्द्रकी आज्ञासे कुवेरने भगवानको महाराणी ब्रह्मदत्ताके गर्भमें आनेके छह महीने पहलेसे ही रत्नवृष्टि करना प्रारम्भ कर दी थी । इस अद्भुत वृष्टिकी चित्रविचित्र प्रभासे उस समय सारा आकाश ही रंगविरंगा होगया था। तथापि 'लगातार पड़नेवाले नवीन रत्नोंसे रंगविरंगा दीख पड़ने