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श्रीजैनसिद्धान्त-खाध्यायमाला लक्ष्ण वि माणुसत्तणं, आरिअत्तं पुणरावि दुल्लहं । विगलिन्दियया हु दीसई, समयं गोयम मा पमायए ॥ १६ ॥ लधूण वि आयरित्तणं, अहीणपंचेन्दियया हु दुल्लहा । विगलिन्दियया हु दीसई, समयं गोयम मा पमायए ॥ १७॥ अहीणपंचेन्दियत्तं पि से लहे, उत्तमधम्मसुई हु दुल्लहा । कुतित्थिनिवेसए जणे, समयं गोयम मा पमायए ॥ १८ ॥ लघृण वि उत्तमं सुई, सदहणा पुणरावि दुल्लहा । मिच्छत्तनिवेसए जणे, समयं गोयम मा पमायए ॥ १९ ॥ धम्मं पि हु सद्दहन्तया, दुल्लहया काएण फासया। इह कामगुणेहि मुच्छिया, समयं गोयम मा पमायए ॥२०॥ परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पण्डुरया हवन्ति ते । से सोयबले य हायई, समयं गोयम मा पमायए ॥ २१॥ परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पण्डुरया हवन्ति ते । से चक्खुबले य हायई, समयं गोयम मा पमायए ॥ २२ ॥ परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पण्डुरया हवन्ति ते । से घाणवले य हायई, समयं गोयम मापमायए ॥ २३ ॥ परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पण्डुरया हवन्ति ते। . से जिब्भबले य हायई, समय गोयम मा पमायए ।। २४ ।। परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पण्डुरया हवन्ति ते । से फासबले य हायई, समयं गोयम मा पमायए ।। २५ ॥ परिजूरइ ते सरीरयं, केसा पण्डुरया हवन्ति ते। । से सबबले य हायई, समयं गोयम मा पमायए ॥ २६ ॥ अरई गण्डं विसूइया. आयंका विविहा फुसन्ति ते । विहडइ विद्धंसइ ते सरीरयं, समयं गोयम मा पमायए ॥ २७ ॥ वोच्छिन्द सिणेहमप्पणो, कुमुयं सारइयं व पाणियं । से सव्वसिणेहवज्जिए, समयं गोयम मा पमायए ॥ २८ ॥ चिच्चाण धणं च भारियं, पब्वइओ हि. सि अणगारियं । मा वन्तं पुणो वि आइए, समयं. गोयम मा पमायए ॥ २९॥ अवउझिय मित्तबन्धवं, विउलं चेव धणोहसंचयं ।। मा तं विउयं गवेसए, समय गोयम मा पमायए ॥ ३०॥ नहु जिणे अन्न दिस्सई. बहुमए दिस्सइ मग्गदेसिए । संपइ नेयाउए पहे, समयं गोयम मा पमायए ॥ ३१॥ अवसोहिय कण्टगा पहं, ओइण्णो सि पहं महालयं ।