________________
श्री उत्तराध्ययनसूत्र- दसमाध्ययनम्.
॥ अह दुमपत्तयं दसमं अज्झयणं ॥
दुमपत्तए पंडुयए जहा, निवडइ राइगणाण अच्चए । एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम मा पमायए ॥ १ ॥ कुसग्गे जह ओस बिन्दुए, थोवं चिट्ठइ लम्बमाणए । एवं मणुयाण जीवियं समयं गोयम मा पमायए ।। २ । इइ इत्तरियम्मि आउए, जीवियए बहुपच्चवायए । विहुणाहि रयं पुरे कडं, समयं गोयम मा पमायए ॥ ३ ॥ दुल्लहे खलु माणुसे भवे, चिरकाले वि सव्वपाणिणं । गाढा य विवाग कम्मुणो, समयं गोयम मा पमायए ॥ ४ ॥ पुढविकायम गओ, उक्कोसं जीवो उ संवसे | कालं संखाईयं, समयं गोयम मा आक्काय मइगओ, उक्कोसं जीवो उ गोयम
मा
य
कालं संखाईयं, समयं उक्कायमइगओ, उक्कोसं जीवो कालं संखाईयं समयं गोयम मा वाउक्कायमइगओ, उक्कोसं जीवो य कालं संखाईयं, समयं गोम मा वणस्सइकायमइगओ, उक्कोसं जीवो उ कालमणन्तदुरन्तयं समयं गोयम मा
इन्दियामइगओ, उकोसं जीवो उ संवसे ।
पमायए ॥ ५ ॥ संवसे ।
पमायए ।। ६ ।। संवसे ।
पमायए ।। ७ । सबसे ।
पमायए ।। ८ ॥ संवसे ।
पमायए ।। ९ ।
कालं संखिज्जसन्नियं, समयं गोयम मा पमाय ॥ १० ॥ तेइन्दिकायमगओ, उक्कोसं जीवो उ संवसे । कालं संखिज्जसंनियं, समयं गोयम मा पमाय ॥ ११ ॥ चउरिन्दियकायमइगओ, उक्कोस जीवो उ संवसे ।
कालं संखिज्जसन्नियं, समयं गोयम मा पमाय ॥ १२ ॥ पंचिन्दिय कायमइगओ, उक्कोसं जीवो उ वसे । सत्तभवगहणे, समयं गोयम मा देवे नेरइए यमहगओ, उक्कोसं जीवो भवगणे. समयं गोयम मा एवं भवसंसारे, संसरइ सुहासु हि जीवो पमायबहुलो, समयं गोयम मा
पमायए ।। १३ संवसे ।
पमाय ॥ १४ ॥ कम्मेहिं |
पमायए ।। १५ ।।