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________________ तप-जपादिद्वारा कर्मनो जीव साथेनो अनादि संयोग पण नाश पामी जाय. (२१) कोई प्रश्न करे के-जीव पहेलो के कर्म? तेना जवाबमां तेने पूछवू के-कुकडी पहेली के इंडु ? तेना जवाबमां ते कहेशे के-तेमां पहेलुं अने पछी जेवू कंई नथी ते ज रीते जीवने कर्ममां पण पूर्वापर जेवू कंई नथी. (२२-२३) छद्मस्थ प्राणिओ जीवने अनुमान प्रमाणथी जाणे अने केवळी भगवंत तो प्रत्यक्ष देखे छे माटे जीव छे तेवू सिद्ध कथन ग्रहण कर. (२४) कोईक प्रश्न करे के-जीव बलवान के कर्म? तेनो खुलासो ए छे के-कोईक स्थळे जीव बळवान अने कोईकं स्थळे कर्म बळवान जाणवू. जीवने कर्मनो संबंध पूर्व काळनो छे, नवो संयोग नथी. (२५) जीवस्थापनाकुलक-माहेनो विचार जाणी कदापि नास्तिकवाद ग्रहण न करवो.. ___ नास्तिकवादनो बीजो अर्थ ए पण छे के-धूर्तनी माफक असंबद्ध के निर्रथक वचन उच्चारवा. ते संबंधमां धूतोंर्नु दृष्टांत आपतां जणावे छे के अवंती देशनी उज्जैनी नगरीनी उत्तर दिशामां जीर्ण नामना उद्यानमां घणा धूतों (ठगारा) भेगा थया. तेमां १ शशक, २ एलासाढ, ३ मूलदेव अने ४ खंडपाणा स्त्री-आ चार मुख्य हता. पहेला त्रण पांच सौ धूतॊना उपरी हता अने खंडपाणा पांच सौ स्त्रीनी स्वामिनी हती. एकदा अतिवृष्टि थवा लागी. सात दिवस पसार थई गया छतां वृष्टि चालु ज रही एटले चारे धूतों विचारवा लाग्या ते-आपणने भूख लागी छे. आ अतिवृष्टिना समयमां कोण खवरावे? त्यारे मूळदेव बोल्यो के-जेणे जेवू देख्यु के सांभळ्यु होय तेनी वार्ता कहे. ते कथा सांभळीने जे तेने जूठी कहे ते सर्व धूनि भोजन करावे. कथा सांभळीने बाकीना तेने उपनयथी घटावे-सत्य समजावे तो काई पण भोजन न करावे. धूर्तीए मूलदेवतुं कथन स्वीकार्यु अने पहेली कथा एलासाढे शरू करी-हुँ एकदा केटलीक गायोने लईने अटवीमां गयो. तेवामां त्यां केटलाक चोरो आव्या एटले में मारी कांबळी पाथरीने तेमां सर्व गायोने बांधी लीधी. पोटकुं माथे मूकी हुं चाळी नीकळ्यो. नजीकना गाममा गयो त्यां केटलाक गोवाळो रमता हता तेनी रमत जोवा ऊभो रह्यो तेवामां किलकिलाहट करतां ते चोरो पण मारी पाछळ त्यां आवी पहोंच्या एटले गोवाळो, गाम अने हुं एक चीभडामां पेसी गया. ते चीभडाने एक बकरी गळी गई. ते बकरीने एक अजगर गळी गयो. अजगरने ढींकण नामनुं पक्षी गळी जईने उड्युं अने वडलाना मोटा झाड ऊपर जई बेलु. एक पग झाड नीचे लटकतो राख्यो तेवामां राजाए पोताना लश्कर साथे झाडनी नीचे पडाव नाख्यो. पक्षीना लटकता पगने वडवाई समजी त्यां हाथी बांध्यो तेवामां ढींकण पक्षी उड्यु एटले हाथी पण आकाशमां उछळ्यो. आ प्रमाणे जोई सैनिकोए राजाने वात करी. राजाए शब्दवेधी बाण चलावनारने हुकम को एटले तेणे बाण चलाव्यु. पक्षी मृत्यु पामी भूमि ऊपर पड्युं. राजाए तेनुं पेट चीराव्यु तो अजगर नीकळ्यो. अजगरने फाड्यो तो बकरी नीकळी, बकरीमाथी चीभडुं नीकळ्यु. चीभडामांथी गाम, गोवाळो, गायो अने हुं नीकळ्या. सर्व लोक पोतपोताना स्थाने गया अने हुं पण गायोने मूकीने अहीं तमारी पासे आव्यो. कहो भाईओ, मारी वात साची के नहीं ? सर्व धूर्तीए का के-तारी वार्ता साची साची ज छे; तेमां कांई पण असत्य नथी. एटले एलासढे पुन: का के-गायो कांबळीमां केम समाई अने आखं गाम चीभडामां केम श्रीगच्छाचार–पयन्ना- २१७
SR No.022586
Book TitleGacchayar Ppayanna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayrajendrasuri, Gulabvijay
PublisherAmichand Taraji Dani
Publication Year1991
Total Pages336
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gacchachar
File Size31 MB
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