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卐 ऊँ ह्रीं श्री अर्ह नमः॥
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श्रुतकेवली पंचम गणधर श्री सुधर्मास्वामी जी द्वारा विरचित
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प्रथम श्रुतस्कन्ध का हिन्दी पद्यमय भावानुवाद (सचित्र)
रचयिता
प्रतिष्ठा शिरोमणि-गच्छाधिपति-जन जन के श्रद्धा केन्द्र
प.पू. आचार्य भगवंत 7 श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वर जी म. सा.
अपादन
श्री सुशील गुरुकृपा प्राप्त-प्रतिष्ठाचार्य
प.पू. आचार्य देव ) श्रीमद् विजय जिनोत्तम सूरीश्वरजी म. सा.
प्रकाशन सहयोग श्री विशारता पद्नम् जैन संघ, श्राविका व्हेनों
श्री विजयवाड़ा जैन संघ, श्राविका वहेनों • शा. समरामिल एण्ड कं. विजयवाड़ा, श्री कुन्युनाथ गृह मन्दिर • श्रीमती विमला व्हेन-छगनलाल जी जावाल, विजयवाड़ा
श्री नेल्लोर जैन संघ, श्राविका बहेनों। प्रकाशक
श्री सुशील-साहित्य प्रकाशन समिति, जोधपुर