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नवाँ अध्ययन : उपधान श्रुत
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दुष्ट लोग दंडित करें, छेदन-भेदन मार। कहा सरल यह भावना, होत न द्वेष विकार।।२।।
• एकत्व भावना. मूलसूत्रम्
एगत्तगए पिहियच्चे। पद्यमय भावानुवाद
भाये एकत्व भावना, क्रोधानल हो शान्त । बस इतनी-सी बात से, पाये अविचल प्रान्त।।
• कर्म चमत्कार. मूलसूत्रम्
अदु थावरा य तसत्ताए, तसा य थावरत्ताए।
अदुवा सव्व जोणिया सत्ता, कम्मुणा कप्पिया पुढो बाला।। पद्यमय भावानुवाद
अपने कर्म प्रभाव से, स्थावर भव प्रकटाय। यों ही कर्म प्रभाव से, त्रस काया पा जाय।।१।। जानो कर्म प्रभाव से, सर्व योनि अवतार। नानाविध हो भव-भ्रमण, परिवर्तन संसार।।२।।
• त्रिविध दुरित त्याग. मूलसूत्रम्
भगवं च एवमण्णेसिं, सोवहिए हु लुप्पइ बाले।
कम्मं च सव्वसो णच्चा, तं पडियइक्खे पावगं भगवं।। पद्यमय भावानुवाद
महावीर भगवन्त ने, सम्यक् समझ-विचार। निश्चय बाल उपधि युक्त, पाते क्लेश अपार ।।१।। त्याग दिया पातिक कर्म, ज्ञातपुत्र भगवन्त । सर्वकर्म का मूल यह, जाना सम्यक् सन्त।।२।।