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________________ ४२ उत्तर-झरणं. ११. हिरिमं पमिसंलीणे सुविणीए त्ति वुच्चई १३. वसे गुरुकुले निच्च जोगवं उवहाणवं। पियंकरे पियंवाई से सिक्खं लडुमरिहई १४. जहा सङ्घम्मि पयं निहियं पुहयो वि विरायइ। एवं बहुस्सुए निक्खू धम्मो कित्ती तहा सुयं १५, जहा से कम्बोयाणं आइएणे कन्थए सिया । आसे जवेण पवरे एवं हवइ बहुस्तुए जहाइण्णसमारूढे सूरे दढपरकमे । उन्नयो नन्दिघोसेणं एवं हवइ बहुस्सुए जहा करेणुपरिकिएणे कुञ्जरे सद्विहायणे । बलःन्ते अप्पमिहए एवं हवइ बहुस्सुए जहा से तिक्खसिड़े जायखन्धे विरायई। वसहे जूहाहिवई एवं हव बहुस्सुए जहा से तिक्खदाढे उदग्गे पुप्पहंसए । सीहे मियाण पवरे एवं हवइ बहुस्सुए जहा से वासुदेवे सङ्खचक्रगदाधरे । अप्पमिहयबले जोहे एवं हवइ बहुस्सुए जहा से चानरन्ते चक्कवट्टी महटिएँ । चोइसरणाहिवई एवं हवइ बहुस्सुए जहा से सहस्त्रक्खे वळपाणी पुरन्दरे । "सके देवाहिवई एवं हव बहुस्सुए जहा से तिमिरविद्धसे उत्तिन्ते दिवायरे । जलन्ते न तेएण एवं हवइ बहुस्सुए १. (आ.) जहा से. २ Ch. (चा.) गया'. ३ Ch. (चा.) "हि . ४ Ch. ( चा.) चि..
SR No.022575
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJivraj Ghelabhai Doshi
PublisherJivraj Ghelabhai Doshi
Publication Year1925
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size15 MB
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