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उत्तरायण, ३६.
सागराणि य सत्तेव उक्कोसेण ठिई जवे ।
सकुमारे जहन्नेणं दुन्नि ऊ सागरोवमा ॥ २२३ ॥ साहिया सागरा सत्त उक्कोसेणं ठिई भवे । माहिन्दम्मि जहन्ने साहिया दुन्नि सागरा ॥ २२४॥ दस व सागराईं उक्कोसेण ठिई जवे । बम्जलोए जहन्नेणं सत्त ऊ सागरोवमा ॥ २२५ ॥ चउदस सागराई उक्कोसेण विई भवे । लन्तगम्मि जहन्नेणं दस उ सागरोवमा ॥ २२६ ॥ सत्तरस सागराई नक्को से विई भवे । महासुके जहनेणं चउदस सागरोवमा अट्ठारस सागराई उक्को से विई भवे । सहस्सारम्मि जन्नेणं सत्तरस सागरोवमा ॥२२८॥ सागरा अडणवीसं तु उक्कोसे ठिई जवे । आयम्मि जहन्नेणं अट्ठारस सागरोवमा ॥ २१९ ॥ वीसं तु सागराई उक्कोसेण विई नवे पाणयम्मि जहन्नेणं सागरा उणवीसई ॥ २३० ॥ सागरा इक्कीसं तु उक्को से ठिई भवे ।
॥ २२७ ॥
आरणम्मि जहनें वीसई सागरोवमा ॥ २३१ ॥ बावीसा' सागराई उक्कोसेण विई जवे । अच्चुम्मि जन्नेणं सागरा इक्कवीसई ॥ २३२ ॥ तेवीस सागराईं उक्को से विई जवे । पढमम्मि जहन्नेण बावीसं सागरोवमा ॥ २३३ ॥ १ Ch. (चा. ) सं.