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________________ जीवाजीवत्रिभत्ती. १९३ २१७ ॥ मज्जिमा मज्जिमा चेव मज्जिमा उवरिमा तहा । उवरिमा हेद्रिमा चेव उवारमा मज्जिमा तहा ॥ २९३ ॥ उवरिमा उवरिमा वेव इय गेविङगा सुरा । विजया वेजयन्ता य जयन्ता अपराजिया ॥ २९४ ॥ सत्य सिद्धगा चैव पञ्चहा पुत्तरा सुरा । श् वेमाणिया एए ऐगहा एवमायो ॥ २१५ ॥ लोगस्स एगदेसम्म ते सधे वि वियाहिया । इत्तो कालविभागं तु तेसिं वुद्धं उद्दिहं ॥ २१६ ॥ संतई पप्प नाईया अपवसिया विय । वि पडुच्च साईया सपवसिया विय ॥ साहियं सागरं एवं उक्को से विई जवे । नोमेजाणं जहन्नेणं दसवास सहस्सिया * ( पविम दोऊणा उक्कोसेण वियाहिया । असुरेन्दवजेताण जहन्ना दस हिस्सगा ) पलि ओवममेगं तु उक्कोसे ठिई जवे । वन्तराणं जहन्नेणं दसवास सहस्सिया पलिओवममेगं तु वासलक्खेण साहियं । पलि ओवमट्ठभागो जोइसेसु जहन्निया दो वेव सागराई उक्कोसेण वियाहिया । सोहम्मंमि जहन्नेणं एगं च पलिओदेवमं ॥ २२१ ॥ सागरा साहिया दुन्नि उक्कोसेण वियाहिया । ईसापम्मि जहन्नेणं साहियं पलिओवमं ॥ २२२ ॥ ॥ २९८ ॥ ॥ २१५ ॥ ॥ २२० ॥ १ A. (आ.) परिकित्तीया. २ Ch. ( चा० ) पप्पणईया, A. (आ.) गोईया. ३ Ch. (चा. ) मां आ सूत्र नथी. ४4. (आ.) वाससह स्तिया.
SR No.022575
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJivraj Ghelabhai Doshi
PublisherJivraj Ghelabhai Doshi
Publication Year1925
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size15 MB
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