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उत्तरायणं. ३५. सुसाणे सुन्नगारे वा रुक्खमुले व 'एगयो। पहरिके परको वा वासं तत्थानिरोयए ॥६॥ फासुयम्मि अणाबाहे इत्थीहिं अणजिदुए। तत्थ संकप्पए वासं निक्खू परमसंजए ॥७॥ न सयंगिहाइ कुविज नेव 'अन्नेहि कारए । गिहकम्मसमारम्ने भूयाणं दिस्सए वहो ॥८॥ तसाणं थावराणं च सुहमाणं बादराण य । तम्हा गिहसमारम्नं संजो परिवाए ॥९॥ तहेव जत्तपाणेसु पयणे पयावणेसु य । पाणनूयदयट्ठाए न पये न पयावये ॥१०॥ जल धन्ननिस्सिया जीवा पुढवीकट्ठ निस्सिया । हम्मन्ति भत्तपाणेसु तम्हा भिक्खू न पयावए ॥११॥ विसप्पे सवयों-धारे बहू पाणे विणासणे । नत्थि जोइसमे सत्थे तम्हा जोइं न दीवए ॥ १२॥ हिर जायरूवं च मणसा वि न पत्थए । समले कञ्चणे जिक्खू विरए कयविक्कए ॥ १३ ॥ किणन्तो कश्यो होइ विक्विणन्तो य वाणिओ। कयविक्कयम्मि वहन्तो भिक्खू न नवइ तारिसो ॥१४॥ निक्खियत्वं न केयत्वं निक्खुणा निक्खवत्तिणा। कयविकओ महादोसो निक्खवत्ती सुहावहा ॥१५॥ समुयाणं उछमेसिजा जहासुत्तमणिन्दियं ।
१ Ch. ( चा ) इक्कओ. १-१ Ch. ( चा.) ई. २ Ch. (चा.) कुविजा. ३ (h. ( चा.) णेव. ४ Ch. (चा.) अन्नेहिं. ५ Ch. (चा.) पाण. ६ Ch. (चा.) समलेटु. A. (आ.) समलेथू.