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________________ पायद्वाणं. बोजाविले ययई अदत्तं तरहानिभूयस्स दत्तहारिणो गन्धे व्यतित्तस्स परिग्गहे य । मायामुखं वइ लोनदोसा तत्थावि दुक्खा न विमुञ्चई से मोसस्स पहा य पुरत्थयो य पओगकाले य 5ही पुरन्ते । एवं दत्ताणि समाययन्तो गन्धे तितो हियो अणिस्तो गन्धाणुरत्तस्स नरस्स एवं कत्तो सुहं दोऊ कयाइ किंचि । तत्योवनोगे वि किलेसदुक्खं निवत्तई जस्स करण दुक्खं एमेव गन्धम्मि गयो पत्रोसं उवे दुक्खोहपरंपराओ । पट्टचितोय चिणाइ कम्मं जं से पुणो होइ डुहं वित्रागे गन्धे विरत्तो मणुओ विसोगो एएण डुक्खोहपरंपरेण । न लिप्पए जवमज्जे वि सन्तो । जलेण वा पोक्खरिणीपलासं जीहाए' रसं गहणं वयन्ति १ Ch. (चा. ) जिब्भाए. १५३ ॥ ५५ ॥ ॥ ५६ ॥ ॥ ५७ ॥ ॥ ५८ ॥ ॥ ५९ ॥ ॥ ६० ॥
SR No.022575
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJivraj Ghelabhai Doshi
PublisherJivraj Ghelabhai Doshi
Publication Year1925
Total Pages206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size15 MB
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