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केसिगोयमिज्जं
जरामरणवेगेणं वुज्झमाणाण पाणिणं । धम्म दीवो पट्टा य गई सरणमुत्तमं ॥ ६८ ॥
साहु गोयम पन्ना ते छिन्नो मे संसओ इमो । अम्नो वि संसओ मज्झं तं मे कहसु गोयमा ॥ ६९ ॥
अण्णवंसि महोहंसि नावा विपरिधावई । जंसि गोयममारूढो कहं पारं गमिस्ससि ॥ ७० ॥
जा उ अस्साविणी नावा न सा पारस्स गामिणी । जा निरस्साविणी नावा सा उ पारस्स गामिणी ॥ ७१ ॥
नावा य इह का वृत्ता केसी गोयममब्बवी । केसिमेवं बुवंतं तु गोयमो इणमब्बवी ॥ ७२ ॥ - सरीरमाहु नाव त्ति जीवो वुञ्चइ नाविओ । संसारो अण्णवो वृत्तो जं तरन्ति महेसिणो ॥ ७३ ॥
साहु गोयम पन्ना ते छिन्नो मे संसओ इमो । अन्नो वि संसओ मज्झं तं मे कहसु गोयमा ॥ ७४ ॥ अन्धयारे तमे घोरे चिट्ठन्ति पाणिणो बहू | को करिस्सर उज्जोयं सव्वलोगंमि पाणिणं ॥ ७५ ॥ उग्गओ विमलो भाणू सव्वलो गप्पभंकरो । सो करिस्सर उज्जोयं सव्वलोगंमि पाणिणं ॥ ७६ ॥ भाणू य इइ के वुत्ते केसी गोयममब्बवी । केसिमेवं बुवन्तं तु गोयमो इणमव्ववी ॥ ७७ ॥ उग्गओ खीणसंसारो सन्वन्नू जिणभक्खरो । सो करिस्सइ उज्जोयं सव्वलोयांमे पाणिणं ॥ ७८ ॥ साहु गोयम पन्ना ते छिन्नो मे संसओ इमो । अन्नो वि संसओ मज्झं तं मे कहसु गोयमा ॥ ७९ ॥ सारीरमाणसे दुक्खे बज्झमाणाण पाणिणं । खेमं सिवमणाबाहं ठाणं किं मन्नसी मुणी ॥ ८० ॥ अत्थि एवं धुवं ठाणं लोगग्गंमि दुरारुहं । जत्थ नत्थि जरा मच्चू वाहिणो वेयणा तहा ॥ ८१ ॥
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ठाणे य इइ के वृत्ते केसी गोयममब्बवी । सिमेवं तं तु गोयमो इणमव्बवी ॥ ८२ ॥