________________
१०.१५-]
उत्तराध्ययनसूत्रम् एवं भवसंसारे संसरइ सुहासुहहि कम्मेहिं । जीवा पमायबहुलो समयं गोयम मा पमायए ॥ १५॥ लद्धण वि माणुसत्तणं आरिअत्तं पुणरावि दुल्लहं । बहवे दसुया मिलक्खुया समयं गोयम मा पमायए ॥ १६ ॥ लभ्रूण वि आरियत्तणं अहीणपंचिन्दियया हु दुल्लहा। विगलिन्दियया हु दीसई समयं गोयम मा पमायए ॥१७॥ अहीणपंचिन्दियत्तं पि से लहे उत्तमधम्मसुई हु दुल्लहा। कुतित्थिनिसेवए जणे समयं गोयम मा पमायए ॥१८॥ लद्धण वि उत्तमं सुई सद्दहणा पुणरावि दुल्लहा। मिच्छत्तनिसेवए जणे समयं गोयम मा पमायए ॥ १९॥ धम्म पि हु सद्दहन्तया दुल्लहया काएण फासया। इह कामगुणेहि मुच्छिया समयं गोयम मा पमायए ॥ २०॥. परिजूरइ ते सरीरयं केसा पण्डुरया हवन्ति ते।। से सोयबले य हाई समयं गोयम मा पमायए ॥२१॥ परिजूरइ ते सरीरयं केसा पण्डुरया हवन्ति ते। से चखुबले य हायई समयं गोयम मा पमायए ॥२२॥ परिजूरह ते सरीरयं केसा पण्डुरया हवन्ति ते। से घाणबले य हायई समय गोयम मा पमायए ॥२३॥ परिजरइ ते सरीरयं केसा पण्डुरया हवन्ति ते। से जिन्भबल य हायई समयं गोमय मा पमायए ॥२४॥ परिजूरह ते सरीरयं केसा पण्डुरया हवन्ति ते। से फासबले य हायई समयं गोमय मा पमायए ॥२५॥ परिजूरइ ते सरीरयं केसा पण्डुरया हवन्ति ते। से सव्वबले य हायई समयं गोयम मा पमायए ॥ २६ ॥ अरई गण्डं विसूइया आयंका विविहा फुसन्ति ते। विहडइ विद्धंसह ते सरीरयं समयं गोयम मा पमायए ॥२७॥ वोछिन्द सिणेहमप्पणो कुमुयं सारदयं व पाणियं । से सम्वसिणेहवज्जिए समयं गोयम मा पमायए ॥२८॥