SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उत्तराध्ययमसूत्रम् (अध्ययनं १०) ३३ वोच्छिद सिणेहमप्पणो, कुमुयं सारइयं पाणिय । से सव्वसिणेहवज्जिए, समय गोयम मा पमायए ॥ २८ ॥ चिच्चाण धण' च भारिय, पव्वइओ हि सि अणगारियौं । मा वंतं पुणो वि आइए, समथं गोयम मा पमायए ॥२९॥ अवउज्झिय मित्तबंधव, विउलं चेव घणोहसंचयं । मा त बिइयं गवेसए, समय गोयम मा पमयाए ॥३०॥ न हु जिणे अज दिस्सई, बहुमए दिस्सइ मग्गदेसिए । संपइ नेयाउए पहे, समय गोयम मा पमायए ॥३१॥ 'अवसोहिय कंटगा पह, ओइण्णो सि पहं महालय । गच्छसि मग्गं विसोहिया, समय गोयम मा पमायए ॥३२॥ अबले जह भारवाहए, मा मम्गे विसमे वगाहिया । पच्छो पच्छाणुवावए, समय मोयम मा पमायए ॥३३॥ तिण्णो हु सि ज्यावं महं किं पुष चिटुसि तीरमागओ। . अमितुर पारं गमित्तए, समयं मोयम मा पमायए ॥३४॥ अकलेवरसेणिमूसिया, सिद्धिं गोयम लोय गच्छसि । खेम च सिवं अणुत्तरं, समय गोयम मा पमायए ॥३५॥ बुद्धे परिनिब्बुडे चरे, गामगए नगरे व संजए । संतीमग्गं च बूहए, समय गोयम मा पमावए ॥३६॥ बुद्धस्स निसम्म भासिय, सुकहियमद्वपभोवसोहिय । रागं दोसं च छिदिया, सिद्धिगई गए गोयमे ॥३०॥ त्ति बेमि ॥ ॥ इति दुमपत्तयं णाम दसम अज्झयणं समत्त ॥१०॥
SR No.022569
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
PublisherPurushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
Publication Year1984
Total Pages200
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy