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________________ उत्तराध्ययनसूत्रम् (अध्ययन ३४) १५५ जा किण्हाए ठिई खलु, उक्कोसा सो उ समयमभहिया । जहन्नेणं नीलाए, पलियमसंखं च उक्कोसा ।। ४९ ॥ जा नीलाए ठिई खलु, उक्कोसा सा उ समयममहिया । जहन्नेण काऊए, पलियमसंखच उक्कोसा ।। ५० ।। तेण पर वाच्छामि, तेउलेसा जहा सुरगाणं । भवणवइवाणमंतरजाइसवेमाणियाण च ।। ५१ ॥ पलिओवमं जहन्न', उक्कोसा सागराओ दुन्नहिया । पलियमसंखेज्जेणं, होइ भागेण तेऊए ॥५२।। दस वाससहस्साई, तेऊए ठिई जहनिया हाई । दुन्नुदही पलिओवम असंखभाग च उक्कोसा ।। ५३ ।। जा तेऊए ठिई खलु. उक्कोसा सा उ समयमब्भहिया । जहन्नेण पम्हाए, दस उ मुहुत्ताहियाइ उक्कोसा ।। ५४ ॥ जा पम्हाए ठिई खलु, उक्कोसा सा उ समयमभहिया । जहन्त्रेण सुक्काए, तेत्तीस मुहुत्तमभहिया ।। ५५ ।। किण्हा नीला काऊ, तिन्नि वि एयाओ अहमलेसाओ । एयाहि तिहि वि जोवो, दुग्गई उववज्जइ ।।५६।। तेऊ पम्हा सुक्का, तिन्नि वि एयाओ धम्मलेसाओ । एयाहि तिहि वि जीवो, सुग्गइ उवज्जइ ॥ ५७ ।। लेसाहिं सव्वाहिं, पढमे समयम्मि परिणयाहिं तु । न हु कस्सइ उबवाओ, परभवे अत्थि जीवस्स ।। ५८ ।। लेसाहिं सव्वाहि, चरिमे समयम्मि परिणयाहिं तु । न हु कस्सइ उववाओ, परभवे हाइ जीवस्स ।। ५९ ।।
SR No.022569
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
PublisherPurushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
Publication Year1984
Total Pages200
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size13 MB
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