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________________ उत्तराध्ययनसूत्रम् (अध्ययन ३३)..... १४९ सोलसविहभेएण, कम्मं तु कसायज ।। सत्तविह नवविह वा, कम्म च नोकसायज ॥ ११ ॥ नेरइयतिरिक्खाउ, मणुस्साउं तहेव य । देवाउयं चउत्थ' तु, आउ कम्म चउव्विहं ॥ १२ ॥ नामकम्म तु दुविह', सुहमसुह च आहियं । सुभस्स उ बहू भेया, एमेव असुभस्स वि ॥ १३ ॥ गोय कम्म दुविह, उच्च नीयं च आहियं । -.. उच्च अट्टविह होइ, एवं नीय पि आहियं ॥ १४ ॥ दाणे लाभे य भोगे य, उवभागे वीरिए तहा । पंचविहम तराय, समासेण विहाहिय ॥ १५ ॥ एयाओ मूलपयडीओ, उत्तराओ य आहिया । पएसग्ग खेत्तकाले य, भावं च उत्तर सुण ॥ १६ ।। सव्वेसिं चेव कम्माण, पएसग्गमणतग । गठियसत्ताईयं, अंता सिद्धाण आहियं ॥ १७ ॥ सव्वजीवाण कम्म तु, संगहे छहिसागय । खब्बेसु वि पएसेसु, सब सव्वेण बद्धग ॥ १८ ॥ उदहीसरिसनामाण, तीसई काडिकाडीओ । उक्कोसिया टिई होइ, अंतोमुहुत्तं जहनिया ॥ १९ ॥ आवरणिजाण दुण्ह पि, वयाणिज्जे तहेव य । अंतराए य कम्मम्मि, ठिई एसा वियाहिया ॥ २० ।। उदहीसरिसनामाण, सत्तर कोडिकोडीओ। मोहनिजस्स उक्कोसा, अतोमुहुत्तं जहन्निया ॥ २१ ॥ .
SR No.022569
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Path
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
PublisherPurushudaniya Parshwanath SMP Jain Sangh
Publication Year1984
Total Pages200
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size13 MB
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