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प्रस्तावना
चन्द्रराजचरित्रम् गुलाबविजयजी महाराज, मुनिराज तपस्वी श्री हर्षविजयजी, मुनिराज श्री हंसविजयजी और मुनिश्री कल्याणविजयजी इन चार मुनिवरों को सौंपा गया । उक्त समिति की ओर से यह समिति का ८ वां पुष्प आप महानुभावों के सामने उपस्थित हो रहा है, इसी तरह अन्य ग्रन्थ भी क्रमशः प्रकाशित होकर पाठकवर्ग के हाथों में यथासमय पहुँचते रहेंगे । पाठकवर्ग भी उन्हें अपनाकर सद्गत आचार्यदेव के महान् परिश्रम का तथा समिति के मुनिवरों का प्रयत्न सफल करेंगे । यदि प्रेसदोष या दृष्टि प्रमाद दोष के कारण त्रुटियाँ रह गयी हो तो सज्जन पाठकवर्ग सुधारकर पढ़े | विज्ञेषु किमधिकम् ? | यतः-गच्छतः स्खलनं क्यापि, भवत्येव प्रमादतः । हसन्ति दुर्जनास्तत्र, समादधति सज्जनाः
॥१॥ निवेदिका
श्रीभूपेन्द्रसूरि जैन साहित्य संचालक समिति
श्री गोडी पार्श्वनाथ जैन पेढ़ी श्री सौधर्म बृहत्तपागच्छिय त्रिस्तुतिक संघ
मु.पो. आहोर (राज.)
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