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________________ जिसने मुड देखा था वह पेट और पूछ देखने वालों को मिथ्या बतलाता था । जिसने पेट देखा था वह शेष दो को झूठा कहता था और जिसने पूछ देखी थी वह मुह और पेट देखने वालों को असत्यवादी बतलाता था। इस प्रकार तीनों परस्पर झूठा, लुच्चा आदि कह कर झगड़ने लगे। इतने में ही बन्दर वृक्ष पर से कूद पड़ा। उसको इस समग्र रूप में कूदा देख कर वे सब स्तब्ध रह गये और आश्चर्य करने लगे। अब उन्हें अपनी अपनी भूल समझ में आई । इस तरह एकान्त मार्ग बहुत अनर्थकारी है, जबकि अनेकान्त मार्ग हमेशा हितावह है। ___ "श्री श्रमण भगवान महावीर जिस समय कौशाम्बी नगरी में पधारे तब वहाँ के राजा की बहिन जयन्ती ने, जो शय्यातरी के रूप में प्रसिद्ध है, भगवान से प्रश्न किया कि- हे भगवन ! जागते हुये अच्छे या सोते हुये ?" भगवान् ने उत्तर दिया."बहुत सों का जागृति रहना अच्छा है और बहुत सों को सोते रहना ही अच्छा है । जागृत रहकर जो धर्म कार्य करते हैं,उनका जागना अच्छा है और जो जागकर अधर्म में प्रवृत्त होते हैं, उनका सोते रहना ही अच्छा है।" इस प्रकार कुल तेरह प्रश्न जयन्ती श्राविका ने भगवान से किये थे, जिनका भगवती सूत्र में उल्लेख हुआ है ।* श्यनेकान्तवाद---जैन तत्वज्ञान की खास विशेषता है। कुछ विद्वान् वैदिक दर्शन में अथवा बौद्ध दर्शन में अनेकान्तवाद को उद्गम होना बतलाते हैं, परन्तु यदि ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाय तो ज्ञात होता है कि---किसी भी जैनेत्तर दर्शन से अने___ यह उद्धरण विद्वद्रत्न पूज्य जम्बु विजयजी महाराज साहेब की ओर से प्राप्त हुआ था। प्रमङ्गवश इसको यहाँ उद्धृत किया है।
SR No.022554
Book TitleSyadvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankarlal Dahyabhai Kapadia, Chandanmal Lasod
PublisherShankarlal Dahyabhai Kapadia
Publication Year1955
Total Pages108
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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