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सद्गरु बन्दुना
* शासन के सम्राट अलौकिक, दिव्य गुणों के अनुपम धाम। तीर्थोछार धुरंधर गुरुवर, नेमि सूवीश्वर तुम्हें प्रणाम।
* साहित्य सुधा सम्राट् सुपावन,
काव्य कला मन्दिर अभिवाम। अग जग में जगमग है गुरुवर,
लावण्य सूवीश्वर तुम्हें प्रणाम। * संयम के सम्राट् कलाधव, गुणगविमा युक्त सार्थक नाम। अमल कमल से शोभित गुरुवर, कक्ष सूवीश्वर तुम्हें प्रणाम।
* जैनधर्म के दिव्य दिवाकर,
सरस्वती के पावन धाम। कवि भूषण तीर्थ प्रभावक,
सुशील सूवीश्वर तुम्हें प्रणाम। * प्रतिष्ठा शिवोमणि धर्म वक्षक, साहित्य के सर्जक महा। आचार्य विजय सुशील सूरीश्वर महाराज अहा॥
* गुरु नेमि की तेजस्विता, लावण्य दक्ष-सुदक्षता। साहित्य में लसती, जिनोत्तम भक्ति धावा स्वच्छता॥
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