________________
१०० ]
[ १०।१
श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे कर्मक्षय से एक ही क्षण, लोक के क्षितिजान्त भी, पूर्वप्रयोग औ संगरहित बंधच्छेदन भाव में, गतित्व के परिणाम द्वारा, सिद्धगति तत्काल में॥ क्षेत्र काल गति लिंग तीर्थ चरण द्वार में, प्रत्येक बुद्ध ज्ञान के संग, अवगाह सुविचार में। अन्तर संख्या अल्पबहुता, द्वार बारह जानिये, सिद्धपद में अवतरण से, मोक्ष द्वार प्रवेशिये॥ तत्त्वार्थाधिगम सूत्र की पद्यानुवाद विवेचना, है रची लय छन्द हिन्दी गीतिका में बोधना। अध्याय दसवाँ पूर्ण है, मोक्ष की सुविवेचना, सुशील शील मोक्ष हेतु त्रिरत्नकर आराधना॥
॥इति तत्त्वार्थाधिशगम सूत्र के दशवें अध्याय का पद्यानुवाद॥
॥समाप्त॥