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सुकृत के सहयोगी है
श्वीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् ५(पञ्चमोऽध्यायः + षष्ठोऽध्यायः)
ग्रन्थ के प्रकाशन में
श्री जैन संघ
चान्दराई (राज.)
ने सुन्दर आर्थिक सहयोग वि. सं. 2053 के यशस्वी व ऐतिहासिक भव्य चातुर्मास की पावन स्मृति में प्रदान किया है।
श्रुतभक्ति के महान् लाभ की
हार्दिक अनुमोदना के साथ सकल श्रीसंघ व कार्यकर्त्तागण को
हार्दिक धन्यवाद ।
ॐ साभार : __श्री सुशील साहित्य प्रकाशन समिति