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।। प.पू. आचार्य श्री सुशील सूरि जी म. ।।
सुयोग्य गुरु के सुयोग्य शिष्य जिनोत्तम गणि है नाम, गुरु-शिष्य की इस जोड़ी पर जिनशासन को है नाज। अल्पवय और अल्पकाल में
जिनके बड़े हैं नाम, भविष्य के आचार्य जिनोत्तम चन्द्र का तुम्हें प्रणाम ।।
शान्तसुधारस मृदुमनी, राजस्थान के दीप, मरुधरोद्धारक सत्कवि तुम साहित्य के सीप । कविभूषण हो तीर्थप्रभावक, नयना है निष्काम, सुशील सूरीश्वर को करूँ, वन्दन आठों याम ।।
।। पू. पंन्यास श्री जिनोत्तमविजयजी गणि म