________________
स्वर्णिम अवसर
श्री अष्टापद जैन तीर्थ सुशील विहार का खनन महत (भूमिपूजन समारोह) वैशाख शुक्ल १० शुक्रवार २० मई, १६६४ के शुभ दिन मरुधरदेशोद्धारक परमपूज्य आचार्य भगवन्त श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. एवं पूज्य पंन्यासप्रवर श्री जिनोत्तम विजय जी गणिवर्य म. की शुभ निश्रा में हुआ है एवं दोनों जिनमन्दिरों का शिलान्यास समारोह श्रावण शुक्ल ३, बुधवार १० अगस्त, १६६४ को सुसम्पन्न हुआ है। निर्माण कार्य तीव्र गति से प्रगति पर है।
हमारे अंतर की बात . . . आइये... सब साथ मिलकर अभिनव तीर्थ-निर्माण करें।
श्री अष्टापद तीर्थ-निर्माण के आयोजन की संक्षिप्त रूपरेखा आपके सामने है। आप भी मानते होंगे कि वर्तमान काल में इस विलुप्त तीर्थ के नव निर्माण की आवश्यकता है, इसमें कोई सन्देह नहीं है। सम्पूर्ण भारतवर्ष में अपने ढंग का यह प्रथम भव्य प्रयास है। जो सकल संघों के सहयोग से ही पूर्ण होगा। सुकृत में लाभ लेने की अनेक योजनाएँ हैं। पुण्यशाली महानुभावों से सादर निवेदन है कि – इस महान् आयोजन में उदार हृदय से तन-मन-धन से सहयोग प्रदान कर पुण्यानुबन्धी पुण्योपार्जन का लाभ अर्जित करें।
इस कार्य हेतु इच्छुक भाग्यशाली परम पूज्य श्री सुशील गुरुदेव श्री
एवं तीर्थ निर्माण समिति से सम्पर्क कर पुण्य लाभ लेवें।
ॐ जयजिनेन्द्र)
16