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________________ मूलसूत्रम्- - तदिन्द्रियाऽनिन्द्रियनिमित्तम् ॥ १-१४ ॥ * तस्याधारस्थानम्(१) से किं तं पच्चक्खं ? पच्चक्खं दुविहं पण्णत्तं । तं जहा-इन्दियपच्चक्खं. नोइन्द्रियपच्चक्खं च । [नदिसूत्र-३] (२) से किं तं पच्चक्खे-पच्चक्खे दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-इंदिय पच्चक्खे अनोइंदिय पच्चक्खे अ। [अनुयोगद्वार, सूत्र-१४४] मूलसूत्रम् अवग्रहहावायधारणाः ॥ १-१५ ॥ * तस्याधारस्थानम्(१) से कि तं सुनिस्सिनं? चउन्विहं पण्णत्तं । तं जहा-(१) उग्गहे (२) ईहा (३) अवाप्रो (४) धारणा । - [नंदिसूत्र-२७] (२) आभिणिबोहे चउविहे पण्णत्ते । तं जहा-(१) उग्गहो (२) ईहा (३) अवानो (४) धारणा । [भग० शतक-८, उद्देश-२, सूत्र-३१७] मूलसूत्रम् बहु-बहुविध-क्षिप्र-निश्रिताऽसंदिग्धध्र वाणां सेतराणाम् ॥ १-१६ ॥ * तस्याधारस्थानम्(१) छव्विहा उग्गहमती पण्णत्ता। तं जहा-(१) खिप्पमोगिण्हइ (२) बहुमोगिण्हइ (३) बहुविधमोगिण्हइ (४) धुवमोगिण्हइ (५) अणिस्सियमो गिण्हइ (६) असंदिद्धमोगिण्हइ । (२) छव्विहा ईहामति पण्णत्ता। तं जहा-खिप्पमोहति बहुमोहतिजाव असंदिद्धमोहति ।
SR No.022532
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tikat tatha Hindi Vivechanamrut Part 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1994
Total Pages166
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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