SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्रेम निवेदन मान्यवर श्री साहित्य समाज का प्रतिबिम्ब कहा जाता है । जिसमें भौतिक साहित्य का महत्व सर्वतोधिक है । मौलिक साहित्य के पठन से आपके परिवार में अच्छे संस्कारों का सिंचन होगा । जिससे जीवन में प्रेम और शांति के फूल खिलेंगे • आध्यात्मिक विकास के लिए तत्व चिंतन का साहित्य । • स्वस्थ जीवन के लिए मौलिक चिंतन का साहित्य | • जीवन के शाश्वत मूल्यों को उजागर करने वाला कथा साहित्य | • भीतरी समस्या को सुलझाने वाला प्रेरक साहित्य | यह सब प्राप्त करने के लिए आप श्री सुशील साहित्य प्रकाशन समिति (रजि.) द्वारा प्रकाशित धार्मिक साहित्य पढ़िये । ॐ सुशील सन्देश फ्र • सुंदर सरल सरस सुरुचिपोषक - सुसंस्कारवर्धक • शुभ और शुद्ध विचारों से समृद्ध • साहित्य की नियमित प्राप्ति हेतु आप आजीवन सदस्य अवश्य बनें । सम्यक् साहित्य के प्रचार और प्रसार में सहभागी बनने हेतु हमारा सप्रेम भावपूर्ण निमंत्रण है । आजीवन सदस्यता शुल्क- २०११ समये -
SR No.022532
Book TitleTattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tikat tatha Hindi Vivechanamrut Part 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1994
Total Pages166
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy